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Thursday 25 June 2020

June 25, 2020

ई-मेल क्या है ? और ई-मेल के प्रयोग

ईमेल सोशल नेटवर्किंग और ई गवर्नेंस सर्विसेज

परिचय introduction
इंटरनेट की सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक मेल  में ईमेल है इलेक्ट्रानिक मेल एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक संदेश होता है जो किसी नेटवर्क से जुड़े विभिन्न कंप्यूटरों के मध्य भेजा और प्राप्त किया जाता है सोशल नेटवर्किंग दोस्तों परिवारों सहपाठियों क्लाइंटो आदि के साथ संपर्क कनेक्शन आदि के लिए इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया प्रोग्रामों का उपयोग है यह सामाजिक तथा व्यवसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हो सकता है सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट और प्रभावशाली कंपनियों में से एक बन गया है।

ई- गवर्नेंस सरकार और जनता के मध्य एक सफल माध्यम है प्रत्येक व्यक्ति e-governance के माध्यम से सरकार से जुड़ जाता है और अपने गांव जिले के सरकारी अधिकार आय प्रमाण पत्र छात्रवृत्ति की स्थित सरकारी अधिकारियों की स्थित आदि के बारे में जान सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक मेल electronic mail
ई-मेल का पूर्ण रूप इलेक्ट्रॉनिक मेल है ईमेल के माध्यम से कोई व्यक्ति विशेष आयोजनों का समूह दुनिया भर में किसी से भी संदेशों का आदान प्रदान कर सकता है।

ई-मेल संदेश के दो घटक होते हैं ई-मेल एड्रेस और मैसेज किसी भी ई-मेल प्रदाता की वेबसाइट जैसे जीमेल हॉटमेल याहू मेल पर साइन अप कर के नए ई-मेल एड्रेस को यूज़र द्वारा बनाया जा सकता है।
इसका प्रयोग करके ई-मेल को क्रेडिट सेंड रिसीव फॉरवर्ड स्टोर प्रिंट और डिलीट किया जा सकता है ई-मेल का प्रयोग करके साधारण टैक्स डॉक्यूमेंट ग्राफिक्स ऑडियो वीडियो और इमेज आदि भेजे जा सकते हैं।



ई-मेल के लाभ advantages of email


ई-मेल के माध्यम से संदेशों के साथ-साथ उनकी दिनांक व समय को भी सुरक्षित रख सकते हैं

ई-मेल एड्रेस इंटरनेट पर व्यक्ति की पहचान व वेबसाइटों पर रजिस्ट्रेशन करने में अत्यंत लाभप्रद है

ई-मेल द्वारा संदेशों को व्यावहारिक पत्राचार की तुलना में बहुत तेज गति से संप्रेषित Transmit किया जा सकता है

ई-मेल के  द्वारा पत्रों संदेशों के होने की आशंका समाप्त हो जाती है

ई-मेल को केवल वही यूजर  डाउनलोड कर सकता है जिसे वह भेजा गया है

डाक सेवा के अतिरिक्त ईमेल का प्रयोग करने से पेपर की भी बचत होती है वह ईमेल को कागजी दस्तावेजों की तुलना में संभालना आसान होता है

ई-मेल का प्रयोग वर्तमान में विज्ञापनों में बिजनेस प्रमोशन  इत्यादि में भी किया जाता है

ई-मेल की हानियां Disadvantages of E-mail

ई-मेल के लाभ होने के साथ-साथ उसकी कुछ हानियां भी हैं जो निम्नलिखित हैं

ई-मेल के पासवर्ड के चोरी होने पर कोई भी अज्ञात व्यक्ति उसका प्रयोग कर सकता है

 प्राप्त किए गए ईमेल में वायरस हो सकता है जो हानिकारक छोटे प्रोग्राम होते हैं वायरस प्रोग्राम ईमेल से संबंधित कुछ जानकारी को चुराकर अनुचित ईमेल को अन्य ईमेल एड्रेस पर भेज सकते हैं

 कई यूजर्स अन्य यूजर्स को अवांछित ई-मेल भेजते हैं जिसे स्पैम कहते हैं

यूजर को मेल बॉक्स को समय-समय पर मैनेज करना होता है अन्यथा मेलबॉक्स फुल हो जाएगा व आगामी ई-मेल को प्राप्त नहीं किया जा सकेगा

ई-मेल का प्रयोग सरकारी व्यापार में नहीं किया जा सकता क्योंकि यदि ई-मेल क्रिडेंशियल  किसी अवैध गुजर को पता चल जाए तो उसका गलत प्रयोग कर सकता हैं।

ई-मेल मैसेज का स्ट्रक्चर structure of email message

ई-मेल मैसेज का सामान्य स्ट्रक्चर निम्न कंपोनेंटओ शामिल करता है
To
यह फील्ड प्राप्तकर्ता Recipient की ई-मेल एड्रेस को शामिल करता है। यह ई-मेल मैसेज का सबसे पहला फील्ड होता है।
Cc
इसका पूरा नाम कार्बन कॉपी carbon copy है। यह प्राप्त कर्ताओं के एड्रेस को शामिल करता है , जिन्हें यूजर्स ईमेल मैसेज को कॉपी भेजना चाहते हैं।
BCC
 इसका पूरा नाम ब्लाइंड कार्बन कॉपी blind carbon copyहै। यह फिल्ड भी प्राप्त कर्ताओं की लिस्ट को शामिल करता है। BCC.  प्राप्तकर्ता।   To और cc एड्रेस को देख सकते हैं।
Subject
यह फील्ड मैसेज के शीर्षक title को शामिल करता है।

Attachments

किसके द्वारा ई-मेल मैसेज के साथ किसी भी फाइल जैसे टेक्स्ट इमेज ऑडियो वीडियो इत्यादि को जोड़ सकते हैं।

Body

यह फिल्ड ई-मेल मैसेज के टेक्स्ट को शामिल करता है वास्तविक कंटेंट इसी भाग में संग्रहित होता है इस फील्ड में प्रेषक sender ई-मेल सिस्टम द्वारा स्वचालित रूप से उत्पन्न हस्ताक्षर या टेस्ट भी शामिल हो सकते हैं। प्रत्येक उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली विभिन्न ई-मेल सिस्टम के अनुसार ई-मेल के कंटेंट भिन्न हो सकते हैं।
Formatting

फॉर्मेटिंग टैब का प्रयोग करके यूजर्स अपने मैसेज को फॉर्मेट कर सकते हैं।

Other options

यूजर्स अन्य विकल्प जैसे इमोटिकॉन बोल्ड इटैलिक हाइपरलिंक इत्यादि का प्रयोग करके मैसेज को अधिक आकर्षक बना सकते हैं।
Send button

ई-मेल को भेजने के लिए सेंड बटन पर क्लिक किया जाता है।
ईमेल ऐड्रेसिंग email addressing

ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के लिए यूजर के पास ई-मेल एड्रेस का होना अत्यंत आवश्यक है। ईमेल एड्रेस किसी ई-मेल सर्वर पर ऐसा स्थान होता है। जहां ई-मेल स्टोर की जाती है। ई-मेल सर्वर द्वारा ई-मेल भेजी जाती है। इस स्थान को मेल बॉक्स mailbox भी कहा जाता है।जब यूजर किसी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी में इंटरनेट कनेक्शन खरीदता है,तो वहां सामान्यतया यूजर के लिए एक मेल बॉक्स भी बना देता है और उस मेल बॉक्स का एड्रेस यूजर को दे देता है जिसे ई-मेल एड्रेस कहा जाता है। ई-मेल एड्रेस में सामान्यतया निम्न 2 भाग होते हैं। जो @चिन्ह से अलग रहते हैं

Username@hostname

जहां, username मेल बॉक्स का नाम है। यह सामान्यतया यूजर के यूजरनेम के समान होता है, जिसके द्वारा यूजर अपने कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ते हैं।

Hot name or domain name मेल सर्वर का नाम होता है, जिस पर आपका ई-मेल अकाउंट है।

ई-मेल एड्रेस के कुछ उदाहरण निम्न हैं
madhavCS5@gmail.com

madhavCS5@yahoo.com

इनमें से किसी भी वेब पोर्टल में मेल बॉक्स बनाने के लिए यूजर को अपने बारे में सूचनाएं देते हुए एक ऑनलाइन फार्म भरना होता है और अपने यूजर नेम तथा पासवर्ड की पसंद भी बतानी होती है। विवरण descriptionस्वीकृत होने पर वेब पोर्टल यूजर को वही यूजरनेम तथा पासवर्ड प्रदान कर देता है और यूजर का मेल बॉक्स अपने मेल सर्वर पर बना देता है।

यूजर जो भी ई-मेल प्राप्त करता है वह मेल बॉक्स में स्टोर कर दी जाती है भले ही यूज़र उसकी प्राप्ति के समय इंटरनेट से जुड़ा हो या नहीं। यूजर उस वेब पोर्टल के होम पेज पर जाकर और अपने यूजर नेम और पासवर्ड द्वारा साइन इन sign in करके अपनी मेल बॉक्स को कभी भी खोल सकते हैं।



ई-मेल के प्रयोग use of e-mail


ई-मेल को इंटरनेट के माध्यम से किसी को भी भेजा जा सकता है, जिसके पास ईमेल एड्रेस है।
ई-मेल के प्रयोग निम्नलिखित हैं



ई-मेल अकाउंट खोलना opening an e-mail computer


ई-मेल अकाउंट खोलने के लिए बहुत सी फ्री वेबसाइट /वेब पोर्टल उपलब्ध है जैसे www.hotmail.com,
www.yahoo.com, www.gmail.com, www. msn.com, www.rediffmail.com आदि इनमें से किसी भी वेबसाइट के द्वारा यूजर अपना रजिस्ट्रेशन एक नई यूजर के रूप में करा कर अपना ई-मेल अकाउंट बना सकता है।........................................




Wednesday 24 June 2020

June 24, 2020

सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते हैं (Types of Software)






सॉफ्टवेयर (Software)  सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात प्रोग्रामों की वह श्रंखला है जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरो के बीच समन्वय स्थापित करता है जिससे किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके इस का प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर कार्य करता है ऐसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं।

सॉफ्टवेयर को उसके कार्यों तथा संरचना के आधार पर निम्न भागों में विभाजित किया गया है


सिस्टम सॉफ्टवेयर (system software) :

यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर को नियंत्रित करने उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं कंप्यूटर से हमारा संपर्क किया संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है।

दूसरे शब्दों में कंप्यूटर हमेशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के नियंत्रण में ही रहता है जिसके कारण हम सीधे कंप्यूटर से अपना संपर्क नहीं बना सकते ।

 सिस्टम सॉफ्टवेयर में वे प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित समन्वय बनाकर कार्य कराते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के उदाहरण निम्न हैं

(I) ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) इसमें वे प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर के विभिन्न अवयवों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं उनमें समन्वय स्थापित करते हैं तथा उन्हें प्रबंधित (Manage) करते हैं । इसका प्रमुख कार्य उपयोगकर्ता (User) तथा कंप्यूटर हार्डवेयर के मध्य एक इंटरफ़ेस स्थापित करना है।

ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्राम ओं का एक व्यवस्थित समूह है जो किसी कंप्यूटर के संपर्क क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को रन करता है विशेष सेवाएं देने वाले प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद (Translate) करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट देने के लिए डाटा का प्रबंधन करता है । उदाहरण, MS-DOS विंडोज XP/ 2000/98 यूनिक्स लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ उदाहरण हैं।


(ii) डिवाइस ड्राइवर (Device Driver)   ये छोटे तथा विषेस उद्देश्य वाले सॉफ्टवयर होते हैं, जो किसी  डिवाइस के प्रचालन (Operation)  को समझाते हैं ये सॉफ्टवेयर किसी डिवाइस तथा उपयोगकर्ता के मध्य इंटरफ़ेस (Interface) का कार्य करते हैं  किसी भी डिवाइस को सुचारु रूप से चलाने  के लिए चाहे वो प्रिंटर, माउस,मॉनीटर ,या कीबोर्ड ही हो, उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है डिवाइस ड्राइवर्स निर्देशों क ऐसा समूह होता है, जो हमारे कंप्यूटर ला परिचय उसमे जुड़ने वाले हार्डवेयरों से करवाते हैं 
(iii) भाषा अनुवादक (Language Translator)  ये ऐसे प्रोग्राम है, जो विभिन्न प्रोगामिंग भाषाओ में लिखे  गये प्रोग्रमों का अनुवाद कंप्यूटर की मशीनीं भाषा (Machine Language) में करते हैं यह अनुवाद कराना  इसलिए आवश्यक होता है, क्यूंकि कंप्यूटर केवल अपनी मशीनी भाषा  में लिखे हुए प्रोग्राम का ही पालन कर सकता है 
भाषा अनुवादकों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जाता है
(a) असेम्बलर  (Assembler)  यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे गए किसी प्रोग्राम को पढ़ता है और उसका अनुवाद मशीनी भाषा में कर देता है असेम्बली भाषा के प्रोग्राम को सोर्स प्रोग्राम (Source Program) कहा  जाता है इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करने के बाद जो प्रोग्राम प्राप्त होता है, उसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) कहा जाता है
(b) कम्पाइलर (Compiler) यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो किसी प्रोग्राम द्वारा उच्च स्तरीय प्रोगरामिंग भाषा (Highlevel Programming Language) में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा  में करता है कम्पाइलर सोर्स प्रोग्राम के प्रत्येक कथन या निर्देश का अनुवाद करके उसे मशीनी भाषा के निर्देशों में बदल देता है प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए एक अलग कंपाइलर की आवश्यकता होती है।

(C)  इंटरप्रेटर (interpreter) यह किसी प्रोग्राम द्वारा उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (high level programming language) मे लिखे गए सूरज प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है परंतु यह एक बार में सूरज प्रोग्राम के केवल एक कथन को मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उनका पालन कर आता है इनका पालन हो जाने के बाद ही वह सूरज प्रोग्राम के अगले कथन का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है मूल्य ता कंपाइलर और इंटरप्रेटर का कार्य समान होता है अंतर केवल यह है कि कंपाइलर जहां ऑब्जेक्ट प्रोग्राम बनाता है वही इंटरप्रेटर कुछ नहीं बनाता इसलिए इंटरप्रेटर का उपयोग करते समय हर बार सोर्स प्रोग्राम की आवश्यकता होती है।


एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इन प्रोग्राम को कहा जाता है जो हमारा वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं जैसे कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना सभी लेनदेन तथा खातों का हिसाब किताब रखना विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट प्रिंट करना स्टार्ट की स्थित का विवरण देना पत्र डॉक्यूमेंट तैयार करना इत्यादि हालांकि आजकल ऐसे प्रोग्राम सामान्य तौर पर सबके लिए एक जैसे लिखे हुए भी आते हैं जिन्हें रेडीमेड सॉफ्टवेयर (Readymade Software) या पैकेज (Package) कहां जाता है जैसे- एमएस वर्ड, एमएस एक्सेल, टैली, कोरल ड्रा, पेजमेकर, फोटोशॉप आदि। 

सामान्यता एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं


(I) सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Journal Purpose Software) प्रोग्रामों का वह समूह जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता अनुसार अपने सामान्य उदश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाते हैं समानता उद्देश्य सॉफ्टवेयर कहलाते हैं सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर निम्न हैं 

(a) वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software)

(b) इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट्स (Electronic Spreadsheets)

(c) प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software)

(d) डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (Database Management System)


(II) विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Specific Purpose Software) यह सॉफ्टवेयर किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का अधिकांशतः केवल एक उद्देश्य होता है सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर निम्न हैं

(a) इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम एंड परचेजिंग सिस्टम (Inventory Management System  and Purchasing System)


(b) पेरोल मैनेजमेंट सिस्टम (Payroll Management System) 

(c) होटल मैनेजमेंट सिस्टम (Hotel Management System)


यूटिलिटी सॉफ्टवेयर Utility Software 

यह प्रोग्राम कंप्यूटर के रखरखाव से संबंधित कार्य करते हैं यह प्रोग्राम कंप्यूटर के कार्यों को सरल बनाने उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं यूटिलिटी प्रोग्राम कई ऐसे कार्य करते हैं जो कंप्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने होते हैं उदाहरण के लिए कोई यूटिलिटी प्रोग्राम हमारी फाइलों का बैकअप किसी बाहरी स्टोरेज माध्यम पर ले जाने का कार्य कर सकता है।

कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर निम्न प्रकार के हैं जो नीचे दिए गए हैं-

(i) डिस्क कंप्रेशन (Disk Compression) यह हार्ड डिस्क पर उपस्थित सूचना पर दबाव डालकर उससे सब कुछ कर देता है जिससे हार्ड डिक्स पर अधिक से अधिक सूचना स्टोर की जा सके।

(ii) डिस्क फ्रेग्मेंण्टर  (Disc Fragmenter) यह कंप्यूटर की  हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर बिखरी हुई फाइलों को सर्च करके उन्हें एक स्थान पर लाता है इसका प्रयोग फाइलों तथा हार्ड डिस्क की खाली पड़ी जगह को व्यवस्थित करने में होता है।

(iii) बैकअप यूटिलिटीज  (Backup Utilities) यह कंप्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सभी सोचना कि एक क्रांति रखता है तथा आवश्यकता होने पर कुछ आवश्यक फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क के कंटेंट वापस रिस्टोर (restore) कर देता है।

(iv) डिस्क क्लीनर्स (Disc Cleaners) यह उन फाइलों को ढूंढ कर डिलीट (Delete) करता है जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है इस प्रकार यह कंप्यूटर की गति को भी तेज करता है ‌।

(v) एंटीवायरस (AntiVirus) यह ऐसे यूटिलिटी प्रोग्राम है जिनका प्रयोग कंप्यूटर के वायरस ढूंढने और उन्हें डिलीट करने में होता है जैसे -Norton, Quick heal इत्यादि।


ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर
Open source software

ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर सॉफ्टवेयर ओं को कहा जाता है जिनका सोर्स कोड सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध होता है इसलिए इन्हें फ्री सोर्स सॉफ्टवेयर भी कहते हैं ऐसे सॉफ्टवेयर क सोर्स कोड को मॉडिफाई कर कोई भी यूजर इन को डिवेलप करने में सहायता कर सकता है इन सबके घरों के डेवलपर या निर्माणकर्ता एक लाइसेंस के साथ इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रयोग करने व मॉडिफाई करने का अधिकार यूजर्स को प्रदान करते हैं सोर्स कोड किसी सॉफ्टवेयर का वह भाग होता है जो यूजर्स नहीं दिखाई देता इस कोड को कंप्यूटर प्रोग्रामरसॉफ्टवेयर में कुछ परिवर्तन के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

उदाहरण- लाइनक्स, यूनिक्स, MySQL, आदि।

ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस तरह से हैं-

  • यह स्वतंत्र रूप से रन और प्रोग्राम होने वाले सॉफ्टवेयर हैं।
  • यह प्रोग्राम में मॉडिफाई करते हैं
  • यह इंटरनेट से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
  • यह वास्तविक (Original) या मॉडिफाई किए गए प्रोग्राम को दोबारा वितरित करने का अधिकार रखते हैं।


ओ.एस.एस. (OSS) के वितरण के लिए मापदंड Criteria for the Distribution of OSS 


ओ.एस.एस. के वितरण के लिए निम्नलिखित मापदंडों को स्वीकार करते हैं

(i) बिना किसी मूली के पुनः वितरण किसी भी संगठन या साइट के द्वारा सॉफ्टवेयर को बेचने या वितरित करने के लिए ओ.एस.एस. की अनुमति आवश्यक नहीं है।

(ii) सोर्स कोड सॉफ्टवेयर में सोर्स कोड शामिल होना चाहिए तथा सोर्स कोड के साथ साथ वितरण (Distribution) की अनुमति भी होनी चाहिए।

(iii) व्युत्पन्न कार्य एसएस का लाइसेंस संशोधन (Modify) एवं व्युत्पन्न (Drived) कार्य की अनुमति देता है और मूल सॉफ्टवेयर के लाइसेंस के समान शर्तों के साथ वितरित करने की अनुमति देता है।


(iv) कंपाइलर के सोर्स कोड की स्थिरता ओ.एस.एस. का लाइसेंस सोर्स कोड को केवल संशोधित (Modified) रूप में वितरित होने से प्रतिबंधित कर सकता है यदि लाइसेंस सॉफ्टवेयर के बनने के समय उसे संशोधित करने के उद्देश्य से सोर्स कोड के साथ पैच फाइल के वितरण की भी अनुमति देता है लाइसेंस को स्पष्ट रूप से संशोधित सोर्स कोड से बनाए गए सॉफ्टवेयर के वितरण की अनुमति भी देनी चाहिए।

नोट : एक पेज फाइल उसके सोर्स कोड में बदलाव के मार्ग को स्टोर रखती है।

प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर
Proprietary software

यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो किसी व्यक्ति या कंपनी के स्वामित्व में होता है प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर को क्लोज सोर्स सॉफ्टवेयर के नाम से भी जाना जाता है और इसका सोर्स कोड हमेशा गुप्त रखा जाता है।

प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर कॉपीराइटेड(Copyrighted) सॉफ्टवेयर होता है इसमें यूजर द्वारा पुनर वितरित (Redistribute) या मॉडिफाई नहीं किया जा सकता यह सॉफ्टवेयर एक विशिष्ट हार्डवेयर प्लेटफार्म या ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ्टवेयर है।

प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए मुख्य बाधाएं
  • प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर का लाइसेंस और रखरखाव बहुत महंगा है।
  •  यह सॉफ्टवेयर किसी एक ही उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं
  •  उपयोगकर्ताओं को सभी अपडेट समर्थन और सुधारों के लिए प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर के डेवलपर पर निर्भर होना पड़ता है।

 





Sunday 14 June 2020

June 14, 2020

इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के नाम

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग.. madhavCS5 पर

...दोस्तों आज के इस टॉपिक में हम बात करने वाले हैं इनपुट और आउटपुट डिवाइस के बारे में जो कि हम इमेजेस के साथ में आपको बताएंगे इनपुट डिवाइस कितने प्रकार की होती हैं और आउटपुट डिवाइस कितने प्रकार की होती हैं आप हमारी पूरी पोस्ट जरूर पढ़ें आइए आगे बढ़ते हैं ।


इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के नाम

इनपुट डिवाइस

यह वे हार्डवेयर होते हैं जो डाटा को कंप्यूटर में भेजते हैं बिना इनपुट यूनिट के कंप्यूटर टीवी की तरह दिखने वाली है कैसी डिस्प्ले यूनिट हो जाता है जिससे उपयोगकर्ता कोई कार्य नहीं कर सकता जैसे कीबोर्ड माउस आदि।

कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस के नाम

(I)  की-बोर्ड (Keyboard)

यह सर्वाधिक प्रयोग में लाई जाने वाली इनपुट डिवाइस है इससे कंप्यूटर में डाटा या सूचनाएं इनपुट कराई जाती हैं यह टाइपराइटर के समान होता है इसमें कुंजियों को दबाकर कोई भी टेक्स्ट; जैसे- शब्द, संख्याएं और अनेक तरह के चिन्ह टाइप किए जा सकते हैं।


       


तो आइए जानते हैं कि बोर्ड मैं कुंजियां कितने प्रकार की होती हैं-

कीबोर्ड में कुंडलियों के प्रकार

(a) अक्षरांकीय कुंजियां (Alphanumeric Keys)
इसके अंतर्गत अक्षर कुंजियां (A, B,...........Z) और अंकीय कुंजियां (0,1,2.........9) आती हैं।


(b) विराम चिन्ह कुंजियां (punctuation keys) कामा, डॉट, सेमीकालन, ब्रैकेट, कोष्टक इत्यादि विराम चिन्ह कुंजियां कहलाते हैं।


(c)  विशेष कुंजियां (Special Keys) कंट्रोल, ऐरो, कैप्सलॉक, डिलीट, ऑल्ट, शिफ्ट कुंजियां इत्यादि विशेष कुंजियां कहलाती हैं।


(d) माडिफायर कुंजियां  (modifier keys)  शिफ्ट, कंट्रोल तथा आल्ट कुंजिया माडिफायर कुंजिया कहलाती हैं।



(e) फंक्शन कुंजियां (Function Keys) F1 से F12 तक की फुंसियों को फंक्शन  कुंजी कहते हैं इनका प्रयोग कंप्यूटर में परिभाषित विशिष्ट कार्यों के लिए किया जाता है।


(II) माउस  (Mouse) या एक प्रकार की पेंटिंग और इनपुट डिवाइस दोनों है इसका प्रयोग कर्स़र  या प्वाइंटर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए करते हैं। इसके अतिरिक्त माउस का प्रयोग कंप्यूटर में ग्राफिक्स (Graphics) की सहायता से कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए करते हैं इसमें सामान्यता दो या तीन बटन होते हैं एक बटन को बायां बटन (Left Button) और एक बटन को दायां बटन (Right Button) कहते हैं दोनों बटन ओं के बीच में एक स्क्रोल व्हील (Scroll Wheel) होता है, जिसका प्रयोग किसी फाइल में ऊपर या नीचे के पेज पर कर्सर को ले जाने के लिए करते हैं।




माउस सामान्यता तीन प्रकार के होते हैं

1. वायरलेस माउस (Wireless Mouse)

2. मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)

3. ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)

 माउस के चार प्रमुख कार्य

1. क्लिक या लैफ्ट क्लिक (click or left click) यह स्क्रीन पर किसी एक आब्जेक्ट को चुनता है।

2. डबल क्लिक (Double Click) इसका प्रयोग एक डॉक्यूमेंट या प्रोग्राम को खोलने के लिए करते हैं।

3. दायां क्लिक (Right Click) स्क्रीन पर आदेशों की एक सूची दिखाता है अदाएं क्लिक का प्रयोग किसी चुने हुए ऑब्जेक्ट के गुण को एक्सेस करने के लिए करते हैं।

4. ड्रैग और ड्रॉप (Drag and Drop) इसका प्रयोग किसी ऑब्जेक्ट को स्क्रीन पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए करते हैं।

(III) ट्रैकबॉल (Trackball)  यह एक प्रकार की प्वाइंट इन डिवाइस है जिसे माउस की तरह प्रयोग किया जाता है इसमें एक बार ऊपरी सतह पर होती है इसका प्रयोग कर्स़र के मूवमेंट (Movement) को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।

 इसका प्रयोग CAD (Computer Aided Design Workstation,  CAM (Computer Aided Manufacturing Workstation) वर्कस्टेशनों कंप्यूटरीकृत वर्कस्टेशनों (Computerised Workstation) जैसे कि एयर-ट्रेफिक कंट्रोल रूम राडार कंट्रोल आदि ।


(IV) जॉयस्टिक (Joystick) या एक प्रकार की पॉइंटिग डिवाइस होती है जो सभी दिशाओं में मूव करती हैं और कर्स़र के मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं जॉयस्टिक का प्रयोग फ्लाइट सिम्युलेटर (Flight Simulator)  कंप्यूटर गेमिंग, CAD/CAM सिस्टम में किया जाता है इसमें एक हैंडल (Handle) लगा होता है जिसकी सहायता से कर सके मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं।

Joystick





(V) लाइट पेन (Light Pen) हाथ से चलाने वाली electro-optical पॉइंट डिवाइस है, जिसका प्रयोग ड्राइंग (Drawings) ग्राफिक्स बनाने के लिए और मेनू सिलेक्ट करने के लिए करते हैं, यह पेन स्क्रीन के पास जाकर प्रकाश को सेन्स (Sense) करता है तथा उसके बाद पल्स (Pulse) उत्पन्न करता है । इसका प्रयोग मुख्य रूप से पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (Personal Digital Assistant, PDA) में करते हैं इसका प्रयोग स्क्रीन पर किसी विशिष्ट स्थिति (Location) को पहचानने के लिए करते हैं।


(VI) टच स्क्रीन  (Touch Screen) या यह प्रकार की इनपुट डिवाइस है जो उपयोगकर्ता से तब इनपुट लेता है जब उपयोगकर्ता अपनी अंगुलियों को कंप्यूटर स्क्रीन पर रखता है टच स्क्रीन का प्रयोग सामान्यता एटीएम (ATM), एयरलाइन आरक्षण (Airline Reservation), बैंक (Bank), सुपर मार्केट (Super Market), मोबाइल (Mobile) आदि के कार्यों में किया जाता है।





(VII) बारकोड रीडर (Barcode Reader) या एक इनपुट डिवाइस होती है जिसका प्रयोग किसी उत्पाद (Product) पर छपे हुए बारकोड यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड को पढ़ने के लिए किया जाता है बारकोड रीडर से प्रकाश की किरण निकलती है फिर उस किरण को बारकोड इमेज पर रखते हैं एक बार कोड पहचानने के बाद इसे सांख्यिक कोड (Numeric Code) में परिवर्तित करता है। बारकोड रीडर का अधिक प्रयोग सुपर मार्केट में किया जाता है, जहां पर बारकोड रीडर के द्वारा आसानी से किसी उत्पाद का मूल्य पढ़ा जाता है। बारकोड गाढ़ी और हल्की स्याही की ऊर्ध्वाधर रेखाएं हैं, जो सूचना के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं तथा मशीन इसे आसानी से पढ़ लेती हैं।




(VIII) ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader, OMR) यह एक प्रकार की इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग किसी कागज पर बनाए गए चिन्हों को पहचानने के लिए किया जाता है। यह कागज पर प्रकाश की किरण छोड़ता है और प्रकाश की किरण जिस चिन्ह  पर पड़ती है, उस चिन्ह को OMR पढ़कर कंप्यूटर को इनपुट दे देता है।

OMR की सहायता से किसी वस्तुनिष्ठ प्रकार (Objective Type) की प्रयोगात्मक परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की जांच की जाती है। इसकी सहायता से हजारों प्रश्नों के उत्तर बहुत ही कम समय में आसानी से जांचा जा सकता है।




(IX) ऑप्टिकल कैरक्टर रिकॉग्निशन (optical character recognition, OCR) प्रकाश स्रोत की सहायता से कैरेक्टर की आकृति को पहचानने की तकनीक को अब निकल कैरक्टर रिकॉग्निशन कहा जाता है। यह ओ एम आर (OMR) का ही विकसित रूप है। यह केवल साधारण चिन्हों को ही नहीं बल्कि छापे गए या हाथ से साफ-साफ लिखे गए अक्षरों को भी पढ़ लेता है, इसका उपयोग पुराने डॉक्यूमेंट को पढ़ने में किया जाता है, इसका प्रयोग जैसे- टेलीफोन, इलेक्ट्रिसिटी बिल, बीमा प्रीमियम आदि को पढ़ने में किया जाता है। OCR  की अक्षरों को पढ़ने की गति 1500 से 3000 कैरेक्टर प्रति सेकंड होती है।




(X) मैग्नेटिक इंक कैरक्टर रिकॉग्निशन  (Magnetic Inc Character Recognition, MICR) या सूचनाओं के आकार का परीक्षण मैट्रिक्स के रूप में करता है,उसके बाद उसे पड़ता है और पढ़ने के बाद सूचनाओं को कंप्यूटर में भेजता है इसका प्रयोग बैंकों में चेक में नीचे छापे मैग्नेटिक एनकोडिंग संख्याओं को पहचानने और प्रोसेस करने के लिए किया जाता है।

2आउटपुट यूनिट/डिवाइसेज  Output Unit/Devices  इन डिवाइस इस का प्रयोग सीपीयू से प्राप्त परिणाम को देखने अथवा प्राप्त करने के लिए किया जाता है आउटपुट डिवाइस आउटपुट को हार्ड कॉपी अथवा सॉफ्ट कॉपी के रूप में प्रस्तुत करता है सॉफ्ट कॉपी वह आउट होता है जो उपयोगकर्ता को कंप्यूटर के मॉनिटर पर दिखाई देता है अथवा स्पीकर में सुनाई देता है जबकि हार्ड कॉपी आउटपुट होती हैं जो उपयोगकर्ता को पेपर पर प्राप्त होता है।


कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस निम्न है जो आउटपुट को हार्ड कॉपी सॉफ्ट कॉपी के रूप में प्रस्तुत करते हैं

मॉनिटर

कैथोड रे ट्यूब

एल सी डी

एल ई डी

प्रिंटर

प्लॉटर

हेडफोंस

स्पीकर

प्रोजेक्टर



भाषण संश्लेषक Speech Synthesizar 

भाषण संश्लेषण (Synthesis) मानव भाषण का कृतिम (Artificial)  उत्पादन है। इस उद्देश्य के लिए उपयोग की जाने वाली के कंप्यूटर प्रणाली को भाषण कंप्यूटर (Speech Computer) या भाषण सिंथेसाइजर (Speech Synthesizer) कहा जाता है। इसका उपयोग टेक्स्ट से ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता है और इसे सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर में इंप्लीमेंट किया जा सकता है। एक टेक्स्ट-टू-स्पीच (TTS) सामान्य भाषा टेक्स्ट को भाषण (Speech) में परिवर्तित करती है।


आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

उम्मीद करता हूं इनपुट डिवाइस और आउटपुट डिवाइस अच्छे से समझ में आया होगा।

यदि आपको हमारी पोस्ट पसंद आई हो तो आप हमें FOLLOW करें हम आपके लिए इसी तरह प्रतिदिन मेहनत करते रहेंगे और अच्छी से अच्छी जानकारी आपको देते रहेंगे धन्यवाद🙏✍️

Saturday 13 June 2020

June 13, 2020

कंप्यूटर के प्रकार ( Types of computer)

  कंप्यूटर का वर्गीकरण classification of computer

कंप्यूटरों को उनकी रूपरेखा, कामकाज, उद्देश्य इत्यादि के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है,
जिन का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है

आकार के आधार पर

माइक्रो कंप्यूटर

मिनी कंप्यूटर

मेनफ्रेम कंप्यूटर

सुपर कंप्यूटर

आकार के आधार पर (on the basis of size)

आकार के आधार पर कंप्यूटर चार प्रकार के होते हैं जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत है

1. माइक्रो कंप्यूटर (micro computer) ये कंप्यूटर इतने छोटे होते हैं कि इन्हे डेस्क पर सफलतापूर्वक रखा जा सकता है।इन्हें कंप्यूटर ऑन एचएफ भी कहा जाता है आधुनिक युग में माइक्रो कंप्यूटर फोन के आकार पुस्तक के आकार तथा घड़ी के आकार में भी उपलब्ध हैं इन कंप्यूटरों का उपयोग मुख्यतः व्यवसाय तथा चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है आजकल यह सभी पसी की श्रेणी में आते हैं पीसीएस को नेटवर्क के रूप में कनेक्ट किया जा सकता है जैसे- IMAC, IBM PS/2, APPLE, MAC  इत्यादि।

 माइक्रोकंप्यूटर्स निम्न प्रकार के होते हैं

I). डेक्सटॉप कंप्यूटर (desktop computer) यह पर्सनल कंप्यूटर पीसी का सबसे अधिक उपयोग होने वाला रूप है वर्तमान समय में पीएस सी को छोटा करके आज लैपटॉप और पॉम पॉम का आकार दे दिया है फिर भी अधिकांश घरों और व्यवसाय व्यापारिक स्थानों पर डिस्टर्ब प्रयोग किए जाते हैं क्योंकि यह सस्ते मजबूत और ज्यादा चलने वाले होते हैं।


II ) लैपटॉप (Laptop) पिछले वर्षो में हुए तकनीकी विकास ने माइक्रो कंप्यूटर का आकार इतना शोषण कर दिया है कि उन्हें सरलता पूर्वक इधर-उधर ले जाया जा सकता है और साधारण व्यक्ति भी इनको खरीद कर उपयोग में ला सकता है ऐसे कंप्यूटरों को लैपटॉप कहा जाता है लैपटॉप को कभी-कभी नोटबुक (Notebook) भी कहा जाता है।


 III).पॉम टॉम (Palmtom) या लैपटॉप की तरह पोर्टेबल पर्सनल कंप्यूटर है या लैपटॉप से भी हल्का और छोटा होता है या इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हाथ में रखकर आसानी से प्रयोग किया जा सकता है इसलिए इसे टॉम टॉम या पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (PDA) कहा जाता है।

IV).  वर्क स्टेशन (workstation) यह कंप्यूटर अभियांत्रिकी तकनीकी और ग्राफिक्स की कार्यों के साथ-साथ एकल व्यक्ति के साथ पारस्परिक व्यवहार में भी प्रयोग होता है।



2. मिनी कंप्यूटर मध्यम आकार के इन कंप्यूटरों की कार्य क्षमता तथा कीमत दोनों ही माइक्रो कंप्यूटर की तुलना से अधिक होती इस प्रकार के कंप्यूटरों पर एक या एक से अधिक व्यक्ति एक समय में एक से अधिक कार्य कर सकते हैं इनका उपयोग प्रिया छोटी या मध्यम दर्द की कंपनियां करती है कंप्यूटर की तरह प्रयोग होते हैं जिसे सरवर कहा जाता है जैसे-HP 9000, RISC 6000, BULL HN-DPX2 और AS 400 आदि।


3. मेनफ्रेम कंप्यूटर (mainframe computer) ये कंप्यूटर आकार में अत्याधिक बड़े होते हैं। ये कंप्यूटर कार्यक्षमता और कीमत में भी मिनी तथा माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होते हैं। अधिकतर कंपनियों में मेनफ्रेम कंप्यूटरों का उपयोग भुगतानों  का ब्यौरा रखनेें बिलों को भेजने  कर्मचारियों का भुगतान करने, उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी वस्तुओं का ब्यौरा रखने इत्यादि कार्यों में किया जाता है।




4. सुपर कंप्यूटर (super computer) ये कंप्यूटर सर्वाधिक गति, संग्रह क्षमता एवं उच्च विस्तार वाले होते हैं। इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है। विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर क्रे रिसर्च कंपनी द्वारा वर्ष 1976 में विकसित क्रे-1 था। भारत द्वारा निर्मित प्रथम सुपर कंप्यूटर का नाम परम(PARAM) है। इसका विकास C-DAC ने पुणे में किया है। भारत में देश का सबसे तेज और पहला अल्टिपेटाफ्लोस्प सुपर कंप्यूटर 8 जनवरी 2018 को पुणे में स्थापित किया गया था। इसका नाम प्रत्यूष (pratyush) रखा गया एवं इसकी क्षमता 6.8 पेटाफ्लॉप  है।
 सुपर कंप्यूटर का मुख्य उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने, एनिमेशन का निर्माण करने, अंतरिक्ष यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने, बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओं में शोध व खोज करने इत्यादि कार्यों में किया जाता है। जैसे PARAM, PARAM-II, YUVA PRATYUSH आदि।

            कार्य के आधार पर

कार्य के आधार पर कंप्यूटर तीन प्रकार के होते हैं
 जिन का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है।


1. एनालॉग कंप्यूटर (Analog computer) भौतिक मात्राओं;  जैसे- दाब, तापमान, लंबाई, पारे इत्यादि को मापकर उनके परिणाम को अंको में प्रस्तुत करने के लिए एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। क्योंकि ये कंप्यूटर मात्राओं को अंकों में प्रस्तुत करते हैं, इसलिए इनका उपयोग विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में अधिक किया जाता है; जैसे- स्पीडोमीटर, भूकंप-सूचक यंत्र आदि।


2. डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer) अंकों की गणना करने के लिए डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। आधुनिक युग में प्रयुक्त  अधिकतर कंप्यूटर,  डिजिटल कंप्यूटर की श्रेणी में ही आते हैं। इनपुट किए गए डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके इन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत करते हैं। डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग व्यापार में, घर के बजट में, एनिमेशन के क्षेत्र में विस्तृत रूप से किया जाता है जैसे डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप आदि।


3. हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer) हाइब्रिड कंप्यूटर इन कंप्यूटर को कहा जाता है। जिनमें एनालॉग तथा डिजिटल दोनों ही कंप्यूटरों केेे गुड सम्मिलित हों इसकेे द्वारा भौतिक मात्राओं को अंको मेंंंंंं परिवर्तित करके उसे डिजिटल रूूप में ले आतेे हैं।
 चिकित्सा केे क्षेत्र मैं इसकाा सर्वाधि उपयोग होता है। जैसे-ECG-और DIALYSIS मशीन।

Monday 8 June 2020

June 08, 2020

latest CCC MCQ 2020 (Part I ) हिंदी मेँ

डॉ. डग्लस  इंजेलबरार्ट (Dr. Douglas engelbart) ने 1964 में माउस का आविष्कार किया।


 प्रथम वेबसाइट के निर्माण का श्रेय टीम बर्नर्स ली (Tim berners-lee) को है। इन्हें world wide web का संस्थापक कहा जाता है।


बिल गेट्स (Bill Gates) तथा पाल एलन (Paul Allen) ने मिलकर 1975 में माइक्रोसॉफ्ट कारपोरशन की स्थापना की।


बिल गेट्स की प्रसिद्ध पुस्तक "The Road AheAh; में लिखी गई। वर्तमान में वे "Bill and Melinda Gates Foundation; द्वारा सामाजिक कार्यों  में लगे हैं।


भारत के सबीर भाटिया (Sabeer Bhatia) ने फ्री ई-मेल सेवा हॉटमेल (Hotmail) को जन्म दिया।




बैंकों में एटीएम(Automatic Teller Machine) वैन (WAN) का एक उदाहरण है।


ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse) में माउस पैड की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि इसमें कोई घूमने वाला भाग नहीं होता।


Beta Release किसी सॉफ्टवेयर या तकनीक की उपयोगिता को परखने के लिए निर्माण के दौरान उसे बाजार में जारी करने को कहा जाता है।



पॉप अप (Pop-up) वेब  ब्राउजिंग के दौरान स्वयं खुलने वाला विज्ञापन का विंडो है।


की-बोर्ड की संरचना के निर्माण का श्रेय क्रिस्टोफर लाखन सोल्स (Christopher Latham Sholes) को जाता है।


डिजिटल कंपैक्ट डिस्क (DCD) का अविष्कार 1965 में जेम्स रसेल (James Russell) ने किया।


बाब नोयी (Bob Noyee) तथा गार्डन मूरे (Gordon Moore) ने सम्मिलित रूप से इंटेल (Intel) नामक कंपनी की स्थापना की।


मोटरोला (Motorola) के डॉ. मार्टिन कपूर (Dr. Martin Cooper) ने मोबाइल फोन का आविष्कार किया।


कैलकुलेटर तथा कंप्यूटर  में अंतर यह है कि कंप्यूटर को एक साथ कई निर्देश या निर्देशों का समूह दिया  जा सकता है तथा यह एक साथ कई कार्य कर सकता है। इसके विपरीत कैलकुलेटर को एक साथ एक ही निर्देश दिया जा सकता है।


प्रथम व्यवसाय इंटीग्रेटेड चिप का निर्माण फेयर चाइल्ड सेमीकंडक्टर कॉरपोरेशन (Fire Child Semiconductor Corporation) ने 1961 में किया।


मानीटर का आकार मनीटर के विकर्ण (Diagonal) की लंबाई में मापा जाता है।


फ्लॉपी डिस्क का आविष्कार IBM के वैज्ञानिक ऐलान शुगार्ट (Alan Shugart) ने 1971 में किया।


मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कंप्यूटर की स्वयं की सोचने की क्षमता नहीं होती।


होम थियेटर एक पर्सनल कंप्यूटर है जिसका प्रयोग मनोरंजन के लिए किया जाता है। इसमें वीडियो प्लेयर, ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डर, टेलीविजन गेम्स, इंटरनेट जैसी अनेक सुविधाएं रहती हैं।



कंप्यूटर प्लेटफॉर्म का तात्पर्य कंप्यूटर में प्रयुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम से है जो अन्य प्रोग्रामों के क्रियान्वयन के लिए आधार तैयार करता है। एक प्लेटफार्म में चलने वाले प्रोग्राम सामान्यतः दूसरे प्लेटफार्म में नहीं चलते हैं।



अमेरिका के विंटन कर्फ (Vinten Cerf) इंटरनेट का जन्मदाता (Father of the Internet) कहा जाता है।


इंटरनेट का संचालन किसी संस्था या सरकार या प्रशासन के नियंत्रण से मुक्त है।


जीपीआरएस (GPRS-General Packet Radio Service) वायरलेस द्वारा मोबाइल फोन से इंटरनेट सुविधा के प्रयोग की तकनीक है।



हाइपर टेक्स्ट (Hyper Text) एक व्यवस्था है जिसके तहत टेक्स्ट, रेखाचित्र व प्रोग्राम आदि को आपस में लिंक किया जा सकता है। इसका विकास टेड नेल्सन (Ted Nelson) ने 1960 में किया।



इंटरनेट फोन कंप्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग कर टेलीफोन कॉल स्थापित करने की प्रक्रिया है।


इकॉन(ICANN- internet Corporation for Assigned Names and Numbers) इंटरनेट पर प्रत्येक कंप्यूटर के लिए एक विशेष पता देने के उद्देश्य से 1998 में गठित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है।


एक्स्ट्रानेट (Extranet) एक व्यक्तिगत नेटवर्क है जो व्यवसाय के लिए इंटरनेट तकनीक और सार्वजनिक संचार व्यवस्था का प्रयोग करता है।



ब्रिटेन के ऐलान टूरिंग (Alan Turing) ने सर्वप्रथम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की विचारधारा रखी। पर इस क्षेत्र में अपने योगदान के कारण जांन मैंकार्थी (John Mc Carthy) को कृत्रिम बुद्धिमता का जनक (Father of Artificial Intelligence) कहा जाता है।


डेस्कटॉप पब्लिशिंग(DTP) का विकास मैकिन्टोस (Macintosh) कंपनी द्वारा किया गया।


इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध विश्व के सबसे बड़े इनसाइक्लोडिया विकीपीडिया (Wikipedia) की स्थापना जिमी वेल्स (Jimmy Wales) ने किया।



Friday 5 June 2020

June 05, 2020

सीसीसी की के लिए उत्तम प्रश्नोत्तर (CCC Course शब्दावली)

दोस्तों स्वागत है आपके अपने ब्लॉग madhavCS5 पर,

दोस्तों यह पोस्ट आप सभी का मन प्रसन्न कर देगी इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द चुनकर अर्थ के साथ में लिखे गए हैं तो आइए दोस्तों आगे बढ़ते हैं

सीसीसी की के लिए उत्तम प्रश्नोत्तर


Abacus

     गणना के लिए प्रयुक्त एक अति प्राचीन युक्ति।

Access Control

     सूचना और संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त विद जिससे अनधिकृत (Unauthorised) उपयोगकर्ता को सूचना तक पहुंचने से रोका जाता है।

Access Time

     मेमोरी से डाटा प्राप्त करने के लिए दिए गए निर्देश तथा वास्तव में डाटा प्राप्त होने के बीच का समय।


Accessory

     कंप्यूटर में लगे सहायक संसाधन जिसका प्रयोग प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक नहीं, पर सहायक होता है। जैसे - स्कैनर, वेब कैमरा, फ्लॉपी डिस्क ड्राइव आदि।

Active Cell 

     एक्सेल (Excel) में प्रयुक्त हुआ है खाना या सेल (Cell) जहां वर्तमान में डाटा लिखाया परिवर्तित किया जा रहा हो।

Active Device

      वह उपकरण जिसमें विद्युत प्रवाह द्वारा कोई कार्य संपादित किया जा सकता है।

Active Window

         कंप्यूटर में उस विंडो को इंगित करता है जो वर्तमान में प्रयोग में है अगला आदेश या निर्देश सक्रिय विंडो पर ही लागू होता है।

 Accumulator 

         एक रजिस्टर जो प्रोसेसिंग के दौरान डाटा, और परिणामों को भंडारित करता है।

Adapter

    दो या अधिक उपकरणों के बीच सामंजस्य के लिए प्रयुक्त युक्ति।

Adder

     दो या  अधिक संख्याओं को जोड़ने के लिए बनाया गया इलेक्ट्रॉनिक सर्किट।


Address

       कंप्यूटर मेमोरी में डाटा की स्थिति (Location) बताने वाला पहचान चिन्ह।

Alignment

     लिखित डॉक्यूमेंट में पैराग्राफ को व्यवस्थित करने  की प्रक्रिया को अलाइनमेंट कहते हैं।


Algorithm

    किसी कार्य को पूरा करने के लिए कंप्यूटर को दिए जाने वाले अनु देशों का क्रम।

Alphanumeric

       चिन्हों का समुच्चय जिसमें अक्षर ( A से Z ) अंक (0-9) तथा अन्य विशेष चिन्ह शामिल होते हैं। (ALPHABETS + NUMBER)


Analog

     लगातार परिवर्तित होने वाली या तरंग रूप भौतिक राशि की मात्रा, जैसे - प्रत्यावर्ती विद्युत धारा (A/C), विद्युतीय तरंगे आदि।

Analogue Computer

       वह कंप्यूटर जो ऐसे डेटा का उपयोग करता है जिसकी मात्रा लगातार परिवर्तित हो रही है।


Animation

    स्थिर चित्रों को एक-एक कर तेजी से सामने से गुजारना ताकि गतिशीलता का आरंभ हो।

Antivirus

     निर्देशों का समूह या प्रोग्राम जो कंप्यूटर को दो एस्पूर प्रोग्राम (Virus) से होने वाली छत से बचाने के लिए प्रयोग किया जाता है।


Apple

    कंप्यूटर निर्माण की एक कंपनी।

Application Software

एक क्या अधिक प्रोग्राम का समूह जो किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007।


Arithmetic Logic Unit (ALU)

      कंप्यूटर अर्थात सीपीयू (CPU) का एक भाग जो गणितीय और तार्किक (Arithmetic & Logical) प्रक्रियाओं को संपन्न करता है।

Artificial Intelligence 

      कंप्यूटर में मानवीय गुणों के अनुरूप सोचने, तर्क करने, सीखने और याद रखने जैसी क्षमताओं का विकास।

ASCII  (American Standards Code for Information Interchange)
      
     अक्षरों और संख्याओं को 8 बिट बाइनरी तुल्यांक में प्रदर्शित करने वाला प्रचलित कोड।

Assemble

     विभिन्न पुर्जों और भागों को जोड़कर मशीन के निर्माण की प्रक्रिया।

Assembler

    कंप्यूटर प्रोग्राम को जो असेंबली भाषा को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।


Assembly language

     यह कंप्यूटर भाषा जिसमें अक्षरों और चिंटू के छोटे-छोटे कोड का प्रयोग किया जाता है। उपयोग से पहले इसे मशीन भाषा में बदलना पड़ता है।

Audio visual

     ऐसी सूचना जिसे हम देख और सुन सकते हैं, पर प्रिंट नहीं कर सकते।

Authentication

    कंप्यूटर प्रयोग करता की वैधता की पहचान करने वाली पद्धति
   
Auto card

     रेखाचित्र और ग्राफ को सदा तैयार करने वाला सॉफ्टवेयर।


Automation
       
      किसी प्रक्रिया का स्वता क्रियान्वयन।

Auxiliary Memory

      इससे द्वितीयक मेमोरी भी कहते हैं यह मुखिया प्राथमिक मेमोरी की सहायक तथा बड़ी क्षमता वाली होती है।


आपका अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद 🙏


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सपोर्ट आपका मेहनत हमारी हम आपके लिए इसी तरह लगातार मेहनत करते रहेंगे, आप सभी अपना प्यार इसी तरह हमें देते हैं धन्यवाद


      
June 05, 2020

कम्प्यूटर से संबंधित हिंदी शब्दावली (Hindi Glossary)

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग madhavCS5 पर,

आवश्यक - आपके लिए यह पोस्ट बहुत ही मह्त्वपूर्ण है, इस पोस्ट में ज्यादा से ज्यादा कम्प्यूटर के ऐसे अंग्रेजी शब्दों की हिन्दी बताई गई है जिससे आपको कम्प्यूटर के सभी प्रश्नों को समझने में आसानी होगी और आप उत्तर देने में सक्षम भी रहेंगे इसलिए आप इस पोस्ट को  अंतिम चरण तक अवश्य पढ़े। 


इस पोस्ट में दोस्तों कंप्यूटर से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावली मिल सकेगी जिससे आप सभी को कंप्यूटर के हर एक शब्द को समझने में आसानी होगी, यदि आप सीसीसी (CCC) की तैयारी कर रहे हैं तो यह शब्दावली आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इस शब्दावली को लास्ट तक जरूर पढ़ें और इसी शब्दावली से आप अपनी नोट्स भी तैयार कर सकते हैं -
                        'A'

Access - अभिगम

Advance technology - उच्च तकनीक

Alphabet - अक्षर

Application - उपयोग, अनुप्रयोग

Application Program - अनुप्रयोग प्रक्रम

Assembler - संयोजक

Assembly Language - संयोजी भाषा

Automation - स्वचालन


                          'B'

Backup Copy - सुरक्षात्मक प्रतिलिपि

Back Space - पश्चरिक्त कुंजी

Binary - द्विआधारी

Booting - प्रवर्तन


                        'C'

Calculation - गणना

Cache Memory - गुप्त स्मृति

Central Node - केंद्रीय नोड

Central Processing Unit - केंद्रीय संसाधन 
                                               इकाई


Character Key - अंकाक्षर कुंजी

Circuit - परिपथ

Command - अनुदेश, आदेश

Communication - संचार

Compiler - संकलक

Computer - संगणक

Control Unit - नियंत्रण इकाई

Co-ordinator - तालमेल

Co-processer - सह-संसाधक

Cursor - अंकन बिंदू


                             'D'

Data - आंकड़े

Data Processing - आकड़ा संसाधन

Debug - दोष मार्जन

Default - अंत: निर्धारित

Delete - मिटाना

Desktop Publishing - कंप्यूटरीकृत प्रकाशन

Device - युक्ति

Digit - अंक

Digital - आंकिक

Disk - चकती

Display - प्रदर्शित

Domain Name - क्षेत्रीय नाम

Dot Matrix Printer - बिंदु आव्यूह मुद्रक

Driver - संचालक 


                             'E'

Edit - संपादन

Enter - प्रवेश

Escape -  क्रिया त्याग कुंजी

Exit - वाह्यगमन

Expanded Memory - विस्तारित स्मृति

Expansion Slot - विस्तार खाते


                              'F' 

File - संचिका

File Extension - संचिका उपनाम

Font - अंकन मुद्रा

Format -  विरचना, प्रारूप

Function Key - कार्यकारी कुंजी


                              'G'

Graphics - रेखाचत्र

Graphical User Interface-चित्रप्रयोग कर्ता  
                                                 अंतरापृष्ठ


                                'H'

Head - सिर्फ

High Level Language - उच्च स्तरीय भाषा

Home Key - प्रारंभ कुंजी



                              'I' 

Icon - प्रतिमा, चित्र

Index - अनुक्रमणिका

Information - सूचना

Input - निवेश

Input Device - अंत: गमन युक्त

Installation - संस्थापना

Integrated Circuit - एकीकृत पथ

Integration - एकीकरण

Interface - अंतरापृष्ट

Internal - आंतरिक

Interpreter - व्याख्याता

Information Retrieval - सूचना पुनः प्राप्ति



                               'K'

Key Board - कुंजी पटल


                              'L'

Local Area Network - स्थानीय नेटवर्क 


Low Level Language - निम्न स्तरीय भाषा


                           'M'

Machine Language - मशीनी भाषा

Magnetic - चुंम्बकीय

Magnetic Tape - चुंम्बकीय फीता

Mail Merge - डाक विलय

Math Co-processer - गणितीय सहसंधारक

Medium - माध्यम

Memory - स्मृति

Menu - विकल्प सूची

Menu Bar - विकल्प पट्टी 

Micro Computer - अति लघु कंप्यूटर

Micro Processor - सूक्ष्म संसाधक

Mother Board - मातृ पटल

Mouse - दस्ती नियंत्रक

Multi Tasking - बहु कार्यकारी

Multi User - बहुत प्रयोगी


                              'N'

Natural - प्राकृतिक

Network - तंत्र

Non Volatile - स्थायी

Number System - संख्या प्रणाली

Num Lock Key - अंक चुनाव कुंजी



                                   'O'

Operating System - परिचालन तंत्र

Output Device - वाह्य गमन युक्ति/निर्गत युक्ति



Octal - आठ आधारित

Output - निर्गत



                                'P'

Parallel Port - समानांतर तोरण

Parity - समता

Pass Word - गुप्त संदेश

Peripheral - वाहृय युक्ति

Pixel - चित्रांश

Platform - आधार

Pointer - संकेतक

Primary Memory - प्राथमिक स्मृति

Power Supply Unit - शक्ति प्रदाय इकाई

Printer - मुद्रक

Print - मुद्रण

Process - संसाधन

Pull Down Menu - संबद्ध विकल्प सूची

Punch Card - छिद्रत पत्रक


                          'R'

Random access Memory - यादृच्छिक  
                                                अभिगम स्मृति


Read only memory - केवल पठनीय स्मृति

Read/Write - पठन, लेखन

Reminder - अनुस्मारक

Record - अभिलेख

Regulation - विभेदन

Retrieval - पुनः प्राप्ति


                             'S'

Save - सुरक्षित करना, सुरक्षा

Screen - प्रदर्श

Scroll Bar - सरकन पट्टी

Search - खोज

Secondary Memory - द्वितीयक स्मृति

Section - खंड

Sector - त्रिज्या खंड

Serial Port - श्रेणी तोरण

Server - प्रदायक

Setup - स्थापना / व्यवस्था

Shift Key - अंतरण कुंजी

Space Bar - रिक्त पट्टी

Spread Sheet - सारणी

Stabilizer - स्थरक

Storage - संचयन, भंडारण

Syntax - व्याकरण

System - तंत्र, प्रणाली

System disk - तंत्रीय चकती


                                  'T'


Tab Key - कुदान कुंजी

Terminal - अंतस्थ

Text - पाठय

Tool - उपकरण

Track - पथ

Type - अंकन


                               'U'

Use - उपयोग

User - उपभोगता, प्रयोगकर्ता

Unit - एकक

Uninterrupted Power 
                           Supply - अनवरत विद्युत प्रदाय



                            'V, W'

Version - संस्करण

Virus - अपकूट

Word Processing - शब्द संसाधन

Write Protection - लेखन सुरक्षा

Word Station - कार्य स्थल


दोस्तों आपका अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

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यदि आपके मन में कोई प्रश्न है कंप्यूटर से संबंधित तो आप  कमेंट बॉक्स में अवश्य पूछ सकते हैं।


मेरी पूरी कोशिश यही रहेगी कि आपकी पूछे गए प्रश्नों का उत्तर हम बहुत ही शीघ्र दे पाए धन्यवाद।