सॉफ्टवेयर (Software) सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात प्रोग्रामों की वह श्रंखला है जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरो के बीच समन्वय स्थापित करता है जिससे किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके इस का प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर कार्य करता है ऐसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं।
सॉफ्टवेयर को उसके कार्यों तथा संरचना के आधार पर निम्न भागों में विभाजित किया गया है
सिस्टम सॉफ्टवेयर (system software) :
यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर को नियंत्रित करने उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं कंप्यूटर से हमारा संपर्क किया संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है।
दूसरे शब्दों में कंप्यूटर हमेशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के नियंत्रण में ही रहता है जिसके कारण हम सीधे कंप्यूटर से अपना संपर्क नहीं बना सकते ।
सिस्टम सॉफ्टवेयर में वे प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित समन्वय बनाकर कार्य कराते हैं।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के उदाहरण निम्न हैं
(I) ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) इसमें वे प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर के विभिन्न अवयवों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं उनमें समन्वय स्थापित करते हैं तथा उन्हें प्रबंधित (Manage) करते हैं । इसका प्रमुख कार्य उपयोगकर्ता (User) तथा कंप्यूटर हार्डवेयर के मध्य एक इंटरफ़ेस स्थापित करना है।
ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्राम ओं का एक व्यवस्थित समूह है जो किसी कंप्यूटर के संपर्क क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को रन करता है विशेष सेवाएं देने वाले प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद (Translate) करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट देने के लिए डाटा का प्रबंधन करता है । उदाहरण, MS-DOS विंडोज XP/ 2000/98 यूनिक्स लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ उदाहरण हैं।
(ii) डिवाइस ड्राइवर (Device Driver) ये छोटे तथा विषेस उद्देश्य वाले सॉफ्टवयर होते हैं, जो किसी डिवाइस के प्रचालन (Operation) को समझाते हैं ये सॉफ्टवेयर किसी डिवाइस तथा उपयोगकर्ता के मध्य इंटरफ़ेस (Interface) का कार्य करते हैं किसी भी डिवाइस को सुचारु रूप से चलाने के लिए चाहे वो प्रिंटर, माउस,मॉनीटर ,या कीबोर्ड ही हो, उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है डिवाइस ड्राइवर्स निर्देशों क ऐसा समूह होता है, जो हमारे कंप्यूटर ला परिचय उसमे जुड़ने वाले हार्डवेयरों से करवाते हैं
(iii) भाषा अनुवादक (Language Translator) ये ऐसे प्रोग्राम है, जो विभिन्न प्रोगामिंग भाषाओ में लिखे गये प्रोग्रमों का अनुवाद कंप्यूटर की मशीनीं भाषा (Machine Language) में करते हैं यह अनुवाद कराना इसलिए आवश्यक होता है, क्यूंकि कंप्यूटर केवल अपनी मशीनी भाषा में लिखे हुए प्रोग्राम का ही पालन कर सकता है
भाषा अनुवादकों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जाता है
(a) असेम्बलर (Assembler) यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे गए किसी प्रोग्राम को पढ़ता है और उसका अनुवाद मशीनी भाषा में कर देता है असेम्बली भाषा के प्रोग्राम को सोर्स प्रोग्राम (Source Program) कहा जाता है इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करने के बाद जो प्रोग्राम प्राप्त होता है, उसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) कहा जाता है
(b) कम्पाइलर (Compiler) यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो किसी प्रोग्राम द्वारा उच्च स्तरीय प्रोगरामिंग भाषा (Highlevel Programming Language) में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है कम्पाइलर सोर्स प्रोग्राम के प्रत्येक कथन या निर्देश का अनुवाद करके उसे मशीनी भाषा के निर्देशों में बदल देता है प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए एक अलग कंपाइलर की आवश्यकता होती है।
(C) इंटरप्रेटर (interpreter) यह किसी प्रोग्राम द्वारा उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (high level programming language) मे लिखे गए सूरज प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है परंतु यह एक बार में सूरज प्रोग्राम के केवल एक कथन को मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उनका पालन कर आता है इनका पालन हो जाने के बाद ही वह सूरज प्रोग्राम के अगले कथन का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है मूल्य ता कंपाइलर और इंटरप्रेटर का कार्य समान होता है अंतर केवल यह है कि कंपाइलर जहां ऑब्जेक्ट प्रोग्राम बनाता है वही इंटरप्रेटर कुछ नहीं बनाता इसलिए इंटरप्रेटर का उपयोग करते समय हर बार सोर्स प्रोग्राम की आवश्यकता होती है।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इन प्रोग्राम को कहा जाता है जो हमारा वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं जैसे कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना सभी लेनदेन तथा खातों का हिसाब किताब रखना विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट प्रिंट करना स्टार्ट की स्थित का विवरण देना पत्र डॉक्यूमेंट तैयार करना इत्यादि हालांकि आजकल ऐसे प्रोग्राम सामान्य तौर पर सबके लिए एक जैसे लिखे हुए भी आते हैं जिन्हें रेडीमेड सॉफ्टवेयर (Readymade Software) या पैकेज (Package) कहां जाता है जैसे- एमएस वर्ड, एमएस एक्सेल, टैली, कोरल ड्रा, पेजमेकर, फोटोशॉप आदि।
सामान्यता एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं
(I) सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Journal Purpose Software) प्रोग्रामों का वह समूह जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता अनुसार अपने सामान्य उदश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाते हैं समानता उद्देश्य सॉफ्टवेयर कहलाते हैं सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर निम्न हैं
(a) वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (Word Processing Software)
(b) इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट्स (Electronic Spreadsheets)
(c) प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर (Presentation Software)
(d) डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (Database Management System)
(II) विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर (Specific Purpose Software) यह सॉफ्टवेयर किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का अधिकांशतः केवल एक उद्देश्य होता है सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर निम्न हैं
(a) इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम एंड परचेजिंग सिस्टम (Inventory Management System and Purchasing System)
(b) पेरोल मैनेजमेंट सिस्टम (Payroll Management System)
(c) होटल मैनेजमेंट सिस्टम (Hotel Management System)
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर Utility Software
यह प्रोग्राम कंप्यूटर के रखरखाव से संबंधित कार्य करते हैं यह प्रोग्राम कंप्यूटर के कार्यों को सरल बनाने उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं यूटिलिटी प्रोग्राम कई ऐसे कार्य करते हैं जो कंप्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने होते हैं उदाहरण के लिए कोई यूटिलिटी प्रोग्राम हमारी फाइलों का बैकअप किसी बाहरी स्टोरेज माध्यम पर ले जाने का कार्य कर सकता है।
कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर निम्न प्रकार के हैं जो नीचे दिए गए हैं-
(i) डिस्क कंप्रेशन (Disk Compression) यह हार्ड डिस्क पर उपस्थित सूचना पर दबाव डालकर उससे सब कुछ कर देता है जिससे हार्ड डिक्स पर अधिक से अधिक सूचना स्टोर की जा सके।
(ii) डिस्क फ्रेग्मेंण्टर (Disc Fragmenter) यह कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर बिखरी हुई फाइलों को सर्च करके उन्हें एक स्थान पर लाता है इसका प्रयोग फाइलों तथा हार्ड डिस्क की खाली पड़ी जगह को व्यवस्थित करने में होता है।
(iii) बैकअप यूटिलिटीज (Backup Utilities) यह कंप्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सभी सोचना कि एक क्रांति रखता है तथा आवश्यकता होने पर कुछ आवश्यक फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क के कंटेंट वापस रिस्टोर (restore) कर देता है।
(iv) डिस्क क्लीनर्स (Disc Cleaners) यह उन फाइलों को ढूंढ कर डिलीट (Delete) करता है जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है इस प्रकार यह कंप्यूटर की गति को भी तेज करता है ।
(v) एंटीवायरस (AntiVirus) यह ऐसे यूटिलिटी प्रोग्राम है जिनका प्रयोग कंप्यूटर के वायरस ढूंढने और उन्हें डिलीट करने में होता है जैसे -Norton, Quick heal इत्यादि।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर
Open source software
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर सॉफ्टवेयर ओं को कहा जाता है जिनका सोर्स कोड सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध होता है इसलिए इन्हें फ्री सोर्स सॉफ्टवेयर भी कहते हैं ऐसे सॉफ्टवेयर क सोर्स कोड को मॉडिफाई कर कोई भी यूजर इन को डिवेलप करने में सहायता कर सकता है इन सबके घरों के डेवलपर या निर्माणकर्ता एक लाइसेंस के साथ इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रयोग करने व मॉडिफाई करने का अधिकार यूजर्स को प्रदान करते हैं सोर्स कोड किसी सॉफ्टवेयर का वह भाग होता है जो यूजर्स नहीं दिखाई देता इस कोड को कंप्यूटर प्रोग्रामरसॉफ्टवेयर में कुछ परिवर्तन के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
उदाहरण- लाइनक्स, यूनिक्स, MySQL, आदि।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की प्रमुख विशेषताएं कुछ इस तरह से हैं-
- यह स्वतंत्र रूप से रन और प्रोग्राम होने वाले सॉफ्टवेयर हैं।
- यह प्रोग्राम में मॉडिफाई करते हैं
- यह इंटरनेट से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
- यह वास्तविक (Original) या मॉडिफाई किए गए प्रोग्राम को दोबारा वितरित करने का अधिकार रखते हैं।
ओ.एस.एस. (OSS) के वितरण के लिए मापदंड Criteria for the Distribution of OSS
ओ.एस.एस. के वितरण के लिए निम्नलिखित मापदंडों को स्वीकार करते हैं
(i) बिना किसी मूली के पुनः वितरण किसी भी संगठन या साइट के द्वारा सॉफ्टवेयर को बेचने या वितरित करने के लिए ओ.एस.एस. की अनुमति आवश्यक नहीं है।
(ii) सोर्स कोड सॉफ्टवेयर में सोर्स कोड शामिल होना चाहिए तथा सोर्स कोड के साथ साथ वितरण (Distribution) की अनुमति भी होनी चाहिए।
(iii) व्युत्पन्न कार्य एसएस का लाइसेंस संशोधन (Modify) एवं व्युत्पन्न (Drived) कार्य की अनुमति देता है और मूल सॉफ्टवेयर के लाइसेंस के समान शर्तों के साथ वितरित करने की अनुमति देता है।
(iv) कंपाइलर के सोर्स कोड की स्थिरता ओ.एस.एस. का लाइसेंस सोर्स कोड को केवल संशोधित (Modified) रूप में वितरित होने से प्रतिबंधित कर सकता है यदि लाइसेंस सॉफ्टवेयर के बनने के समय उसे संशोधित करने के उद्देश्य से सोर्स कोड के साथ पैच फाइल के वितरण की भी अनुमति देता है लाइसेंस को स्पष्ट रूप से संशोधित सोर्स कोड से बनाए गए सॉफ्टवेयर के वितरण की अनुमति भी देनी चाहिए।
नोट : एक पेज फाइल उसके सोर्स कोड में बदलाव के मार्ग को स्टोर रखती है।
प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर
Proprietary software
यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो किसी व्यक्ति या कंपनी के स्वामित्व में होता है प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर को क्लोज सोर्स सॉफ्टवेयर के नाम से भी जाना जाता है और इसका सोर्स कोड हमेशा गुप्त रखा जाता है।
प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर कॉपीराइटेड(Copyrighted) सॉफ्टवेयर होता है इसमें यूजर द्वारा पुनर वितरित (Redistribute) या मॉडिफाई नहीं किया जा सकता यह सॉफ्टवेयर एक विशिष्ट हार्डवेयर प्लेटफार्म या ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ्टवेयर है।
प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए मुख्य बाधाएं
- प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर का लाइसेंस और रखरखाव बहुत महंगा है।
- यह सॉफ्टवेयर किसी एक ही उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं
- उपयोगकर्ताओं को सभी अपडेट समर्थन और सुधारों के लिए प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर के डेवलपर पर निर्भर होना पड़ता है।
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