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Sunday 31 May 2020

May 31, 2020

स्प्रेडशीट की परिभाषा (Microsoft Excel 2007)

जय हिंद दोस्तों स्वागत है आप सभी का  आपके अपने हिंदी ब्लॉग madhavCS5 पर।

दोस्तों इस पोस्ट में आप माइक्रोसॉफ्ट एक्सल 2007/2010 के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे-
 आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं।



 स्प्रेडशीट क्या है
     स्प्रेडशीट ए कंप्यूटर प्रोग्राम होता है वर्तमान समय में ऐसी एप्लीकेशन का प्रयोग प्रायः काफी अधिक किया जाता है यह एप्लीकेशन आपको एक साथ हजारों कैलकुलेशन करने की सुविधा प्रदान करता है एक्सल फाइल को ओपन करने पर एक वर्क बुक प्रदर्शित होगी जिसमें तीन वर्कशीट बाय डिफॉल्ट दर्शित होती है आप अपनी आवश्यकता के अनुसार नई वर्कशीट को ओपन कर उन्हें नाम दे सकते हैं। आगे हम इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट को ओपन करने, सेल को एड्रेस करने, एक्टिव करने, प्रिंट करने, सेव करने एवं फार्मूला इतिहास के विषय में चर्चा करेंगे।

                आइए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु को पढ़ें-

वर्क बुक - यह अनेक वर्कशीट का कनेक्शन है जब आप एक्सल फाइल ओपन करते हैं तो इस स्क्रीन पर एक वर्कबुक प्रदर्शित होती है जिसमें बाय डिफॉल्ट तीन वर्कशीट प्रदर्शित होते हैं एक वर्कबुक में अधिकतम 225 वर्कशीट खोले जा सकते हैं वर्क बुक में नेवीगेशन बटन के माध्यम से एक वर्कशीट से दूसरे वर्ग सीट पर जा सकते हैं वर्क बुक व्यवस्थित तरीके से आपको कार्य करने में सुविधा उपलब्ध कराता है।





  वर्कशीट - यह रो और कॉलम को मिलाकर बनती है यह एक ऑर्गनाइजेशन के फाइनेंसियल वर्कशीट प्रोजेक्ट थीसिस इतिहास की प्लानिंग के लिए प्रयोग की जाती है।


  रो - यह सेल्फ से बना हॉरिजॉन्टल ब्लॉक होता है जो वर्कशीट की पूरी चढ़ाई में बाएं से दाएं की ओर चलता है रो में वर्कशीट के बाएं किनारे पर ऊपर से नीचे की ओर नंबर डाले जाते हैं एरो की एवं माउस के माध्यम से आप एक्रोसे दूसरे रूम में आसानी से जा सकते हैं ।


कालम - यह सेल का एक वर्टिकल ब्लॉक होता है जो पूरी वर्कशीट में चलता है एक कलम से दूसरे कालम में जाने हेतु एरो की या माउस का प्रयोग किया जाता है।


   सेल  - ये रोज और कलम का इंटरसेक्शन होता है। सेल में किसी प्रकार की इंट्री करने से पूर्व सेल को एक्टिव करना आवश्यक है। सेल को एक्टिव करने के लिए से  माउस से क्लिक करना होगा क्लिक करने पर सेल सिलेक्ट हो जाता है तत्पश्चात आप उक्त सेल में कार्य कर सकते हैं।


  फंक्शन - फंक्शन पहले से निर्धारित फार्मूला होते हैं जिनकी सहायता से आप जटिल से जटिल गणनायें कर सकते हैं। इसमें ऐसे सैकड़ों फंक्शन है जिनकी सहायता से आप इंजीनियरिंग गणनायें, सांख्यिकीय गणनायें वित्तीय गणनायें और पाठक संबंधी बहुत से कार्य कर सकते हैं।


   फॉर्मूला - एक्सेल में फार्मूला हमेशा एक इक्वल टू (=) चिन्ह से प्रारंभ होता है। आप एक्सेल में फार्मूला का प्रयोग हजारों, लाखों डाटा में एक साथ कर सकते हैं।


  फॉर्मूला बार - फार्मूला बार एक कांस्टेंट वैल्यू या फार्मूला, जो एक्टिव सेल में प्रयोग होता है, प्रदर्शित करता है। फॉर्मूला बार का प्रयोग, सेल कंटेंट्स को एडिट करने में भी होता है।


  नेम बॉक्स - नेम बॉक्स फार्मूला बार के बाएं किनारे पर होता है यह सिलेक्टेड सेल चार्ट आइटम या ड्राइंग ऑब्जेक्ट की स्थिति को बताता है यदि B6 पर कोई इंट्री किया गया है तो उस सिल को एक्टिव करते ही नेम बॉक्स में B6 प्रदर्शित होने लगेगा।


  स्क्रॉल बार - स्क्रॉल बटन का प्रयोग शीट में शीघ्रता से मूल  करने के लिए किया जाता है।


  एक्टिव वर्कशीट - वर्तमान में हम जिस प्रगति पर काम कर रहे हैं वह वर्कशीट एक्टिव वर्कशीट कहलाती है।


  शीट टैब्स - एक टैब, एक वर्क बुक विंडो के नीचे की ओर होता है जो एक वर्कशीट का नाम प्रदर्शित करता है। नेवीगेशन बटन का प्रयोग कर आप एक शीट से दूसरी शीट पर जा सकते हैं।


आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙏


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May 31, 2020

Word processing क्या है, और इस पर कार्य कैसे करें (Microsoft Office 2007/2010)


 दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे हिन्दी ब्लॉग कंप्यूटर madhavCS5 पर ,दोस्तों इस पोस्ट में आपएमएस वर्ड की परिभाषा से लेकर एमएस वर्ड पर कार्य करने ओपन करने तक की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे तो दोस्तों आइए आगे बढ़ते हैं।

Word processing क्या है ?
           वर्ड प्रोसेसिंग एक तरह का एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो टेक्स्ट पैराग्राफ को तैयार करने और उस पर मॉडिफिकेशन करने में इस्तेमाल होता है यहां हम माइक्रोसॉफ्ट वर्ड जो कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सूट का एक एप्लीकेशन है, के बारे में जिक्र करेंगे यहां माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007 एवं 2010 के वर्जन के बारे में चर्चा करेंगे।

  Microsoft word 2007/2010
          
यदि आप वर्ल्ड 2003 का प्रयोग कर चुके हैं तो आप देखेंगे कि वर्ड 2007 2010 में ओल्ड मीनू सिस्टम के स्थान पर निबंध तथा ऑफिस बटन एवं फाइल टाइप का प्रयोग किया गया है वर्ड 2003 में आप फाइल मेनू पर क्लिक कर न्यू ओपन सेव 7:00 इत्यादि कमांड्स का प्रयोग करते थे जबकि वर्ष 2007 में आपको फाइल के स्थान पर ऑफिस बटन एवं फाइल टाइप के अंतर्गत उक्त कमान प्रदर्शित होते हैं वर्ड 2007 2010 में क्विक एक्सेस टूलबार पर जिसके अंतर्गत सेव अनुरूप एवं रीडू बटन सबसे ऊपर की तरफ प्रदर्शित होते हैं जिनका प्रयोग आप अपने डॉक्यूमेंट को सेव करने रिव्यू करने हेतु कर सकते हैं आप अपने एक्सेस टूलबार को अपने अनुसार कॉन्फ़िगर कर सकते हैं एक्सेस टूलबार के दाहिने तरफ डाउन एरो की पर क्लिक कर एक्सेस टूलबार में अन्य टूल्स को जिसका प्रयोग आपको बार-बार करना हो जोड़ सकते हैं।




Microsoft Office word 2013 : माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2013 माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस वर्ड का सबसे नवीनतम वर्जन है जो पिछले सभी वर्जन का खूबियों में अग्रणी है यहां हम इसके केवल नए विशेषता के बारे में चर्चा करेंगे।

        इस वर्जन में कई बदलाव हुए हैं लेकिन एक बड़ा बदलाव यह है कि इसमें एक नया टाइम लांच किया गया हैजिसका नाम डिजाइन टाइम है यह टाइप डॉक्यूमेंट में नए डिजाइन की रेड करने के लिए एवं उन्हें संपूर्ण करने के लिए प्रयोग किया जाता है।



माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007/2010 ओपन करने का स्टेप बाय स्टेप आसान तरीका-

Start button > all programs > Microsoft Office > Microsoft word 2007, 2010

वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज को ओपन करने के लिए आप स्टार्ट बटन पर क्लिक करें तत्पश्चात ऑल प्रोग्राम एवं एमएस ऑफिस ऑप्शन पर जाकर के एमएस वर्ड पर क्लिक करें।आपको एक नई डॉक्यूमेंट विंडो स्क्रीन पर मिलेगी जिस पर आप कार्य कर सकते हैं उस डॉक्यूमेंट विंडो पर टाइटल बार, इन शार्ट पॉइंट, मीनू बार, टूल बार, स्टेटस बार, रूलर बार इत्यादि प्रदर्शित होंगे जो आपको कार्य में सहायता प्रदान करेंगे।

कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी ही चाहिए, जिससे आपको एमएस वर्ड पर कार्य करने में बहुत आसानी, (मदद) होगी।

  New : न्यू फाइल मेनू के अंतर्गत न्यू ऑप्न का प्रयोग कर अपने डॉक्यूमेंट फाइल को बना सकते हैं, ओपन कर सकते हैं।
  CTLR + N


   Open : ओपन इस आसन के द्वारा आप पहले से सेव की गई फाइल को ओपन कर सकते हैं। 

CTRL + O 


  Save : सेव आप एक्टिव डॉक्यूमेंट फाइल में किए गए परिवर्तन को वर्तमान फाइल में सेव कर सकते हैं, या बनाए गए डॉक्यूमेंट को सुरक्षित कर सकते हैं।

 CTRL + S

  Save As : सेव ऐस के द्वारा किसी भी फाइल के नाम लोकेशन एवं फॉर्मेट बदलने के लिए आप सेव ऐस इसका प्रयोग कर सकते हैं।

F12

  Prepare : यह कमांड डॉक्यूमेंट प्रॉपर्टी देखने, इंस्पेक्ट करने, एंक्रिप्ट करने, डिजिटल हस्ताक्षर जोड़ने एवं परमिशन अनुमोदित करने में इस्तेमाल होता है।


  Send : यह कमांड डॉक्यूमेंट को ई-मेल फैक्स या अन्यत्र भेजने के लिए इस्तेमाल होता है।


   Close : आप क्लोज बटन का प्रयोग कर एक्टिव डॉक्यूमेंट फाइल को क्लोज कर सकते हैं, बाहर जा सकते हैं।

ALT + F4

   Recent Documents : यह कमांड हाल में इस्तेमाल हुए डॉक्यूमेंट की लिस्ट को प्रदर्शित करता है।


  Print : प्रिंट एक्टिव फाइल को प्रिंट करने के लिए पेज नंबर प्रिंट ऑप्शन इत्यादि का प्रयोग कर प्रिंट कर सकते हैं।

CTRL + P

 Help : यह कमाने डॉक्यूमेंट में सेटिंग करने के लिए इस्तेमाल होता है, इस कमांड की सहायता से आप मदद भी ले सकते हैं।

F1


Exit Word : यह कमांड डॉक्यूमेंट से, वर्तमान विंडो से, एग्जिट, बाहर जाने के लिए इस्तेमाल होता है।

ALT + F4


शॉर्टकट कीस पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें 👇
एमएस वर्ड की कुछ महत्वपूर्ण शॉर्टकट कीस


दोस्तों उम्मीद करता हूं कि यह आपको बहुत ही अच्छी तरीके से समझ में आया होगा।

आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏






May 31, 2020

पर्सनल कंप्यूटर का विकास (Development of Personal Computer)





पर्सनल कंप्यूटर का विकास (Development of Personal Computer) : 1970 में माइक्रो प्रोसेसर (microprocessor) के विकास ने माइक्रो कंप्यूटर को जन्म दिया 1981 में आईबीएम (IBM-International Business Machine) नामक कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया जिसे आईबीएम पीसी कहा गया बाद में मरने वाले बीसी आईबीएम पीसी कंपैटिबल (IBM PC Compatible) कहलाए, अर्थात वे कार्य और क्षमता में आईबीएम पीसी जैसे ही है तथा उन पर भी सभी कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं जो आईबीएम पीसी पर चलते हैं।


       वर्तमान में प्रचलित पर्सनल कंप्यूटर को मदरबोर्ड की डिजाइन के आधार पर इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-
   
 (I) पीसी- एटी (PC-AT Personal Computer Advanced Technology)

 (II) पीसी-एटीएक्स (PC-ATX Personal Computer Advanced Technology Extanded) 

  (III) पेंटियम पीसी (Pentium PC) .




पीसी के घटक (Parts of Personal Computer)




वर्तमान पीसी के आवश्यक घटक है-

 
    (I) सिस्टम यूनिट (System Unit)

   (II)  मानीटर (Monitor) या वीडीयू (VDU)

   (III) की-बोर्ड (Keyboard)

   (IV) माउस (Mouse)

   (V) हार्डडिस्क (Hard Disk Drive)


मल्टीमीडिया के प्रयोग के लिए कुछ आवश्यक घटक हैं-

  (I) सीडी रोम ड्राइव ( CD ROM Drive)

  (II) स्पीकर (Speaker)

  (III) माइक (Mike)

   (IV) मॉडेम (Modem)

   (V) वेब कैम (Web Cam)


पीसी के कुछ एच्छिक घटक हैं-

  (I) प्रिंटर (Printer)

  (II) फ्लॉपी ड्राइव (Floppy Drive)

 (III) स्कैनर (Scanner)

 (IV) जॉयस्टिक (Joystick)

कंप्यूटर को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए घटक हैं-

(I) यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply)

(II) सीवीटी (CVT-Constant Voltage Transformer)

 सिस्टम यूनिट (System unit)
    
  यह पीसी का मुख्य भाग्य है। कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्य यहीं संचालित होते हैं। जहां विभिन्न सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा निर्मित नियंत्रित किया जाता है। पीसी के अन्य सभी घटक इसी से जुड़े रहते हैं।



    वाह्य संरचना के आधार पर यह दो प्रकार का होता है-


 डेक्सटॉप टाइप (Desktop Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का चौकोर बास्टेबल पर पड़ा रहता है तथा मानीटर उसके ऊपर रखा जाता है।



  टावर टाइप (Tower Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का बॉक्स टेबल पर सीधा खड़ा रहता है तथा मॉनिटर उसके बगल में रखा जाता है वर्तमान में क्या अधिक प्रचलित है कंप्यूटर केबिनेट प्लास्टिक किया एलमुनियम का बना एक बक्सा होता है कंप्यूटर सिस्टम यूनिट के सभी घटक ऋषिकेश के अंदर स्थापित किए जाते हैं यह सिस्टम यूनिट के बाहरी संरचना का निर्माण करता है।






May 31, 2020

कंप्यूटर की कार्यपद्धति


दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर, इस पोस्ट में आपको जानकारी होगी कंप्यूटर किसके भरोसे कार्य करता है और किसके सहारे कंप्यूटर चलता है तो दोस्तों बात करें तो इसमें हार्डवेयर सॉफ्टवेयर और ऐसे कई सारे पाठ से जिनकी मदद से कंप्यूटर कार्य करने में सहायक है।तो दोस्तों अधिक जानकारी के लिए आप पूरी पोस्ट अवश्य पढ़ें ताकि आपको किसी से कुछ पूछने की जरूरत ना पड़े।



कंप्यूटर की कार्यपद्धति 

   आपकी जानकारी के लिए बता दे किसी भी कंप्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है- हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर।

हार्डवेयर (Hardware) : कंप्यूटर मशीन तथा कल पुर्जों को हार्डवेयर कहते हैं। हार्डवेयर कंप्यूटर की भौतिक संरचना है। वस्तुतः सभी चीजें जिन्हें हम देख हुआ छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं। जैसेे- सिस्टम यूनिट, मॉनिटर, प्रिंटर, कीबोर्ड, माउस, मेमोरी डिवाइस आदि।

   सॉफ्टवेयर (Software) : हार्डवेयर कोई भी कार्य स्वयं संपादित नहीं कर सकता। किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए हार्डवेयर को निर्देश दिया जाना आवश्यक है यह कार्य सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाता है।

     सॉफ्टवेयर प्रोग्राम नियमों व अनुदेशकों का वह समूह है जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है सॉफ्टवेयर यह निर्धारित करता है कि हार्डवेयर कब और कौन सा कार्य करेगा सॉफ्टवेयर को हम देख या झूठ नहीं सकते इस प्रकार, अगर हार्डवेयर इंजन है तो सॉफ्टवेयर उसका ईंधन।

कंप्यूटर की कार्यप्रणाली
(Working principle of computer)

        कंप्यूटर की कार्य प्रणाली को मोटे तौर पर पांच भागों में बांटा जाता है जो हर प्रकार के कंप्यूटर के लिए आवश्यक है।

    (I) इनपुट (input): कंप्यूटर में डाटा तथा अनुदेशों (Data and Instruction) को डालने का कार्य इनपुट कहलाता है इसे इनपुट यूनिट द्वारा  संपन्न किया जाता है।
   
  (II) भंडारण (Storage) : डाटा तथा अनुदेशकों को मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है ताकि आवश्यकता अनुसार उनका उपयोग किया जा सके कंप्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अंतरिम तथा अंतिम परिणामों (intermediate and) को भी मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है।

     (III) प्रोसेसिंग (Processing) : इनपुट द्वारा प्राप्त डाटा पर अनुदेशकों के अनुसार अंकगणितीय व तार्किक गणनायें (Arithmetical and Logical Operations) कर उसे सूचना में बदला जाता है तथा वांछित कार्य संपन्न किए जाते हैं।

    (IV) आउटपुट (Output): कंप्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात सूचना या परिणामों को उपयोगकर्ता के समक्ष प्रदर्शित करने का कार्य आउटपुट कहलाता है इसे आउटपुट यूनिट द्वारा संपन्न किया जाता है।

     (V)कंट्रोल (Control) : विभिन्न प्रक्रियाओं में प्रयुक्त उपकरणों, अनुदेशों और सूचनाओं को नियंत्रित करना और उनके बीच तालमेल स्थापित करना कंट्रोल कहलाता है।


          कंप्यूटर हार्डवेयर के मुख्य भाग
      (Main components of computer)

      कंप्यूटर की आंतरिक संरचना विभिन्न कंप्यूटरों  में अलग-अलग हो सकती है पर कार्य पद्धति के आधार पर इन्हें निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।

   (I) इनपुट यूनिट (input unit)

    (II) भंडारण यूनिट या मेमोरी (storage unit or Memory

    (III)    सिस्टम यूनिट (system unit)


  (a) मदर बोर्ड ( Mother Board)
 
  (b) सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ( Central Processing Unit)

  (c) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory)


   (IV) आउटपुट यूनिट (Output Unit)







     दोस्तों आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

कंप्यूटर से संबंधित सॉफ्टवेयर से संबंधित हार्डवेयर से संबंधित इंटरनेट से संबंधित और टेक्निकल जानकारी आप हमारी पोस्ट से प्राप्त कर सकेंगे तो दोस्तों आपसे यही निवेदन है कि आप हमारी पोस्ट पर हमेशा इसी तरह अपना प्यार देते रहें आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।





Saturday 30 May 2020

May 30, 2020

इंटरनेट शब्दावालियां (Terms Related to Internet)

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर दोस्तों इस पोस्ट में आप बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले हैं दोस्तों इस पोस्ट में हम इंटरनेट शब्दावली के बारे में,जैसे लॉग इन,लॉग ऑफ,  डाउनलोड, अपलोड, ऑनलाइन ,जेपीजी, पीडीएफ, रियल टाइम कम्युनिकेशन, थंबनेल, क्रॉस प्लेटफॉर्म आदि। दोस्तों इन सभी टॉपिक के बारे में हम विस्तार पूर्वक इस पोस्ट में आपको बताने वाले हैं तो दोस्तों पोस्ट को लास्ट तक जरूर पड़ेगा बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट है धन्यवाद।

इंटरनेट शब्दावालियां (Terms Related to Internet)
      
     उपयोगकर्ता कंप्यूटर   (Client computer)
इंटरनेट से जुड़ा कंप्यूटर तो सर्वर कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट की सुविधाओं का उपयोग करता है, Client computer  कहलाता है ।

सर्वर कंप्यूटर (server computer) : उच्च भंडारण क्षमता तथा तीव्र गति वाला कंप्यूटर जिस पर एक या अधिक वेबसाइट की सूचनाएं/वेब पेज संग्रहित रहते हैं सरवर कंप्यूटर कहलाता है सरर कंप्यूटर अपने से जुड़े कंप्यूटरों को अनुरोध पर सूचना वेबपेज उपलब्ध कराता है या एक साथ कई उपयोगकर्ताओं को डाटा उपलब्ध करा सकता है।
         सर्वर कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे- web server, client server, email server आदि। किसी एक कंप्यूटर पर एक साथ कई प्रकार के सर्वर प्रोग्राम चल सकते हैं।

वेब पेज (web page) : वेब पेज एक इलेक्ट्रॉनिक पेज है जिसे HTML (HYPERTEXT MARKUP LANGUAGE) का प्रयोग कर बनाया जाता है। वेबसाइट पर दिखने वाला प्रत्येक पेज वेब पेज ही होता है। वेब पज में टेक्स्ट, चित्र, रेखा चित्र, ऑडियो, वीडियो, या हाइपरलिंक कुछ भी हो सकता है।

स्टैटिक/डायनमिक वेब पेज (Static dynamic web page) : स्टैटिक वेब पेज के कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होने के बाद उसमें कोई परिवर्तन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसे Refresh या
Update नहीं कर दिया जाए।

 दूसरी तरफ, डायनेमिक वेब पेज के स्वरूप और तथ्यों (Content) में लगातार परिवर्तन होता रहता है। उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए इनपुट या डेटाबेस के आधार पर कंप्यूटर स्वता वेब पेज में परिवर्तन कर लेता है ।डायनेमिक वेब पेज JAVA SCRIPT  य Dynamic HTML लैंग्वेज सॉफ्टवेयर का  प्रयोग कर तैयार किया जाता है।

वेब साइट (Web Site) : एक ही डोमेन नेम के अंतर्गत पाए जाने वाले वेब पेज का संकलन वेबसाइट कहलाता है किसी वेबसाइट में एक या अधिक वेब पेज हो सकते हैं वेबसाइट के विभिन्न पेज आपस में हाइपरलिंक द्वारा जुड़े होते हैं।



होम पेज (Home Page) : किसी वेबसाइट का पहला आजा मुख्यपृष्ठ होमपेज कहलाता है किसी वेबसाइट को खोलने पर सबसे पहले उसका होमपेज ही कंप्यूटर पर प्रदर्शित होता है होम पेज पर वेबसाइट पर उपलब्ध विषयों की सूची (Index) हो सकती है। किसी वेबसाइट पर के विभिन्न पेज को देखते समय Home बटन क्लिक करने पर उसका होम पेज स्वतः सामने आ जाता है।

होस्ट (Host) : इंटरनेट सेवा व अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर पोस्ट कहलाता है।

     इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (internet service provider) : यह इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली एक संस्था है जिसमें एक या अधिक गेटवे (Gateway) कंप्यूटर रहता है तथा जो इससे जुड़े अन्य कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने की सेवा प्रदान करता है।

     एनोनिमस सरवर (anonymous server) : वह सर्वर से जुड़ने के लिए पासवर्ड (Password) या किसी अन्य पहचान (authentication) की जरूरत नहीं होती एनोनिमस सर्वर कहलाता है।

    थंबनेल (Thumbnail) : किसी चित्र या मैं को प्रदर्शित करने वाला नाखून (nail) के आकार का छोटा रूप (Thumbnail) कहलाता है। इसे क्लिक करके चित्र का बड़ा आकार देखा जा सकता है।

   क्रॉस प्लेटफॉर्म (cross platform) : ऐसा सॉफ्टवेयर जो किसी भी operating system कंप्यूटर हार्डवेयर या किसी भी के साथ काम कर सकता है, cross platform कहलाता है।

  नोड (Node) : किसी भी नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर सरवर या कोई अन्य उपकरण नोट कहलाता है।
 यह कंप्यूटर नेटवर्क का अंतिम बिंदु या टर्मिनल होता है।

   फ्रेम (Frame) : वेब ब्राउजर विंडो के भीतर स्थित आयताकार स्थान जो कई वेबपेज को एक साथ प्रदर्शित करता है फ्रेम कहलाता है।

   वर्चुअल रियलिटी (virtual reality) : इंटरनेट पर उपलब्ध वेब पेज को वास्तविकता के नजदीक लाने तथा जीवत बनाने के लिए उसमें त्रि-आयामी प्रभाव (three dimensional effect) डाला जाता है जिसे virtual reality कहते हैं।

    VRML (VIRTUAL REALITY MODELLING LANGUAGE) भाषा का प्रयोग कर वेब पेज में वर्चुअल रियलिटी का आभास डाला जाता है। VRML को HTML (Hyper Text Markup Language) का three dimensional (3D) रूट कहा जा सकता है।

  पॉप अप  (Pop up) : वर्ल्ड वाइड वेब पर सर्फिंग करते समय या वेबपेज पढ़ते समय स्वयं खुलने वाला छोटा विंडो पॉप अप कहलाता है। यह सामान्यतः अवांछित विंडो होता है जिसका प्रयोग ऑनलाइन व्यवसायिक विज्ञापनों के लिए किया जाता है।

   लॉग इन (Log in) : इंटरनेट पर किसी अन्य कंप्यूटर या सर्वर से जुड़ने की प्रक्रिया ताकि उस कंप्यूटर या सरवर की सुविधाओं तथा सूचनाओं का उपयोग किया जा सके लॉग इन कहलाता है।



   लॉग ऑफ (Log off) : इंटरनेट पर किसी कंप्यूटर का सरवन से जुड़कर अपना कार्य समाप्त कर उस प्रोग्राम से बाहर निकलने की प्रक्रिया लॉग ऑफ कहलाता है।

   डाउनलोड (Download) : किसी नेटवर्क में किसी दूसरे कंप्यूटर का सर्वर से डाटा या सूचना को स्थानांतरित करना Download कहलाता है। डाउनलोड किए गए फाइल ( डाटा या सूचना ) को स्थानीय कंप्यूटर या संग्रहित तथा प्रोसेस किया जा सकता है डाउनलोड के लिए 'Get' आदेश दिया जाता है।

   अपलोड (upload) : किसी नेटवर्क में डाटा यह सोचना कोई स्थानीय कंप्यूटर से किसी दूसरे कंप्यूटर या सरवर आदि को भेजने की प्रक्रिया अपलोड कहलाती है। अपलोड किए गए डाटा को दूसरे कंप्यूटर पर स्थाई तौर पर संग्रहित व प्रोसेस किया जा सकता है। अपलोड के लिए 'Put' आदेश दिया जाता है।

  ऑनलाइन(Online) : जब कोई कंप्यूटर दिया उपकरण चालू हालात में रहते हुए उपयोग के लिए तैयार (ready for use) रहता है या किसी दूसरे उपकरण से जुड़ा रहता है, तो उसे ऑनलाइन कहा जाता है।
 
        इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के बाद, इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर या उपकरण को ऑनलाइन कहा जाता है।

  ऑफ लाइन (Off line) : जब कोई कंप्यूटर उपकरण पावर सप्लाई बंद कर देने के कारण चालू हालत में ना हो या किसी अन्य उपकरण से जुड़ा ना हो तो उसे ऑफलाइन कहते हैं।

     वर्तमान में जब कोई कंप्यूटर या उपकरण इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़ा हुआ ना हो तो उसे ऑफलाइन कहा जाता है।


   क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud computing) : किसी कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट से जुड़े कर इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना क्लाउड कंप्यूटिंग कहलाता है। इसमें वर्ल्ड वाइड वेब, सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे- फेसबुक, टि्वटर, यू- ट्यूब, आदि वेब ब्राउजर ई-मेल, ऑनलाइन बैकअप आदि शामिल होते हैं।

 रियल टाइम कम्युनिकेशन  ( Real time communication) : दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित कर तत्काल सूचनाओं का आदान-प्रदान रियल टाइम कम्युनिकेशन कहलाता है। इसे 'जीवंत संवाद' (Live communication) भी कहा जाता है। जैसे- टेलीफोन, मोबाइल फोन, टेलीकॉन्फ्रेसिंग, वीडियो कॉन्फ्रेसिंग, वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (voice over internet protocol) आदि द्वारा स्थापित संवाद।


    एमपीईजी  (MPEG- Moving Picture Experts Group) :  या वीडियो डाटा या फाइल को डिजिटल रूप में संपीडित (Compress) कर नेटवर्क पर भेजने या संग्रहित करने की तकनीक है इसका प्रयोग कर चल चित्रों द्वारा सिनेमा आदि को नेटवर्क पर भेजा तथा देखा जा सकता है।

    जेपीईजी (JPEG-Joint Photographic Expert Group) : यह चित्र (Picture) तथा रेखा चित्रो (Graphics) आदि को डिजिटल डाटा में परिवर्तित कर नेटवर्क पर भेजने, संग्रहित करने तथा देखने की एक लोकप्रिय तकनीक है।

   पीडीएफ (PDF-Portable Document Format) : यह विमीय डॉक्यूमेंट (2 dimentional document) जैसे- टेक्स्ट, चित्र, रेखा चित्र आदि को संग्रहित करने (store) तथा स्थानांतरण(transfer) के लिए गठित एक प्रचलित मानक है। इसे Adobe system द्वारा 1993 में जारी किया गया था।




    भारत में इंटरनेट (Internet in India)
    भारत में इंटरनेट का आरंभ 80 के दशक में हुआ जब अर्नेट (ERNET-EDUCATION AND RESEARCH NETWORK) के माध्यम से भारत के पांच प्रमुख संस्थानों को जोड़ा गया। बाद में नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा देश के सभी जिला मुख्यालयों को प्रशासनिक सुविधा हेतु नेटवर्क से जोड़ा गया वर्तमान में एनआईसी सरकारी तथा गैर सरकारी संगठन को अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।


      भारत में जन सामान्य के लिए इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा किया गया।

आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए दोस्तों बहुत-बहुत धन्यवाद।


आप सभी इसी तरह अपना अमूल्य समय देते रहें और हम आपके लिए इसी तरह लगातार मेहनत करते रहेंगे और आपके लिए महत्वपूर्ण बिंदु लाते रहेंगे हमारी कोशिश यही रहेगी आपके लिए और भी बेहतरीन बिंदु ला सके धन्यवाद।
 
        
May 30, 2020

सर्च इंजन द्वारा सूचना खोजना (Searching Information Through Search Engine)

दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर जैसा की आप सभी को मालूम है कि हमारे इस ब्लॉग पर कंप्यूटर से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट में हम सर्च इंजन द्वारा सूचना खोजना आदि कई ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में बताने वाले हैं इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं।



सर्च इंजन द्वारा सूचना खोजना (Searching Information Through Search Engine)

 वेब ब्राउज़र के adress box मैं सर्च इंजन का पता (URL) टाइप करें जैसे- WWW.google.com

सर्च इंजन के मेन पेज के सर्च बॉक्स में वांछित सूचना से संबंधित Keyword  या Phrase टाइप करें । टर्म ऑपरेटर का प्रयोग कर सूचना को खोजना और अधिक आसान बनाया जा सकता है

सर्च इंजन Keyword के आधार पर संबंधित वेबसाइट की सूची प्रदर्शित करता।

सूची में दिए गए हाइपरलिंक पर क्लिक कर उस बेवसाइड या वेब पेज को प्रदर्शित किया जा सकता है।

टर्म ऑपरेटर (Term Operator) टर्म ऑपरेटर  सर्च इंजन पर वांछित वेब पेज को खोलना प्रभावी और आसान बनाता है कुछ प्रचलित टर्म ऑपरेटर  है।

AND (+) दो Keyword के बीच AND या (+) लगाने पर सर्च इंजन उन सभी वेब पेज को प्रदर्शित करता है जिनमें दोनों keyword होते हैं। AND सर्च इंजन का डिफॉल्ट ऑपरेटर है तात्पर्य यह कि Keyword के बीच AND नहीं लगाने पर भी सर्च इंजन उन्हीं वेब पेज को प्रदर्शित करता है जिनमें दोनों Keyword हों।

OR (।) : OR या/से जुड़े शब्दों को खोजने पर सर्च इंजन उन सभी वेब पेज को प्रदर्शित करता है जिनमें दोनों Keyword में से कोई एक भी शब्द हो।

NOT (-) : दो Keyword के NOT या (-) सेेेेेेे जुड़े होने पर सर्च इंजन उन वेब पेज को प्रदर्शित करता है जिनमेंं पहला शब्द तो हो, पर NOT से जुड़ा दूसराा शब्द न हो।

Phrase Search (" ") : फ्रेज सर्च में शब्दों को Inverted Comma  के अंदर रखा जाता है। इससे सर्च इंजन वेब पेज को प्रदर्शित करता है जिसमें पूरा फ्रेज एक साथ उपलब्ध हो।

वाइल्ड कार्ड (Wild Card) : वाइल्डकार्ड वह विशेष चिन्ह (Special Symbol) है जिसका प्रयोग किसी सूचना या वेब पेज को खोजने के दौरान (Keyword) के साथ किया जाता है। वाइल्ड कार्ड किसी एक कैरेक्टर या एक से अधिक कैरेक्टर के समूह को इंगित करता है।

        प्रश्न चिन्ह (?) तथा एस्ट्रेरिस्क स्टार (*) वाइल्ड कार्ड के उदाहरण है प्रश्न चिन्ह (?) एक बार में एक कैरेक्टर को निरूपित करता है जबकि asterisk (*) एक बार में एक या एक से अधिक कैरेक्टर को निरूपित करता है। किसी Keyword की के साथ वाइल्ड का का प्रयोग करने पर सर्च इंजन सब से संबंधित सभी विकल्पों वाले पेज की सूची प्रदर्शित करता है।

       सोशल नेटवर्किंग साइट पर हैश (hash) कैरेक्टर (#) का प्रयोग Keyword के साथ वाइल्ड कार्ड के रूप में किया जाता है।

                  👇 इन्हें भी जाने 👇✍️

सर्फिंग (Surfing) : वर्ल्ड वाइड वेब पर अपने पसंद की सूचना की खोज में एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज पर जाना सर्फिंग कहलाता है।वेब पेज पर उपलब्ध हाइपरलिंक की व्यवस्था इस कार्य को आसान बनाती है वस्तुतः बिना किसी सही दिशा और उद्देश्य के एक वेब से दूसरे वेब पज तक जाना ही सर्फिंग कहलाता है।

हिट्स (Hits) : वर्ल्ड वाइड वेब पर किसी सूचना को प्राप्त करने के लिए वेब सर्च इंजन पर उस वेब पेज का टाइटल या कुछ मुख्य शब्द (Keyword) टाइप किया जाता है सर्च इंजन इसके परिणामों की एक सूची प्रदर्शित करता है जिसे हिट्स कहा जाता है।

पुश मैसेज (push message) : सामान्यता इंटरनेट के जरिए कोई वेब पेज या फाइल अपने कंप्यूटर पर प्राप्त करने के लिए सरवर को इसका अनुरोध (request) भेजा जाता है इसके बाद वेब पेज या फाइल को सर्वर से कंप्यूटर तक pull या खींचा जाता है इसे डाउनलोड (download) भी कहते हैं।

         दूसरी तरफ पुश मैसेज को सरवर द्वारा कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर बिना किसी अनुरोध के Push या धकेला जाता है। इस तकनीक का उपयोग सर्वर द्वारा उपभोक्ता को सूचना, अपडेट (UPDATE) या SMS भेजने के लिए किया जाता है।

पिंग (Ping) : पिंग इंटरनेट पर कंप्यूटर तथा अन्य उपकरणों की जांच (test) है जो यह बताता है कि वह कंप्यूटर या उपकरण सही काम कर रहा है या नहीं इंटरनेट पर किसी सरवर के प्रतिक्रिया देने में लगा समय (response time) की जांच भी पिंक कहलाता है।
 
       पिंग द्वारा किसी विशेष ip-address वाले कंप्यूटर या उपकरण के उपलब्धता की जांच की जाती है इसके लिए उस आईपी एड्रेस पर कोई सूचना पैकेट भेजा जाता है तथा प्राप्त जवाब की जांच की जाती है।

आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

दोस्तों उम्मीद करता हूं इसी तरीके से अपना कीमती समय हमारे पोस्ट पर देते रहेंगे और हम आपके लिए बेहतरीन बेहतरीन जानकारी लाते रहेंगे।

दोस्तों हमारी पूरी कोशिश यही रहेगी कि आपका कीमती समय जाया ना जाए।

🙏🙏 बहुत-बहुत धन्यवाद आपका🙏🙏🙏




May 30, 2020

इंटरनेट का मालिक कौन है? (Who Owns Internet)


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर, दोस्तों इस पोस्ट में आप जानेंगे का इंटरनेट का मालिक कौन है और इससे जुड़ने के लिए किन उपकरणों व सॉफ्टवेयर  की जरूरत पड़ती है तो दोस्तों पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़िएगा।


इंटरनेट का मालिक कौन है? (Who Owns Internet)
  
           इंटरनेट सूचना तंत्र वसुधा किसी व्यक्ति या संस्था के नियंत्रण से परे है जो कि इंटरनेट अनेक छोटे-बड़े कंप्यूटर नेटवर्क के आपस में जुड़ने से बनता है अतः इंटरनेट पर अनेक संस्थानों निगम और सरकारी उपक्रमों शिक्षण संस्थान व्यक्तिगत संस्थानों तथा विभिन्न सेवा प्रदाताओं (service providers) का थोड़ा-थोड़ा स्वामित्व माना जा सकता है।

             इंटरनेट की कार्यप्रणाली की देखरेख करने तथा उनके अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने का कार्य कुछ स्वैच्छिक अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं करती हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं- 

ISOC (Internet Society) : लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जिसका गठन 1992 में इंटरनेट से संबंधित मानकों (Standards) प्रोटोकॉल तथा नीतियों (Policies) का विकास करने और लोगों को इस संबंध में शिक्षित बनाने के लिए किया गया।


Internet Architecture Board (IAB) : इंटरनेट सोसायटी (ISOC) द्वारा निर्धारित नियमों के तहत इंटरनेट के लिए आवश्यक तकनीकी और इंजीनियरिंग विकास का कार्य करता है।


ICANN (Internet Corporation for Assigned Names & Numbers) : 1998 ईसवी में स्थापित किया संगठन इंटरनेट पर IP ADDRESS तथा DOMAIN NAME प्रदान करने तथा उसके मानकों के निर्धारण का कार्य करता है ।


Domain Name Registrars : कुछ गैर सरकारी संस्थाएं ICANN द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार इंटरनेट के प्रयोग के लिए डोमेन नेम (Domain Name) प्रदान करती हैं जिन्हें डोमेन नेम रजिस्ट्रार कहा जाता है। विभिन्न डोमेन नेम रजिस्ट्रार या सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को इंटरनेट पर एक विशेष (Unique) डोमेन नेम प्रदान किया जाए डोमेन नेम रजिस्ट्रार का निर्धारण ICANN या Country Code Top Level Domain (CCTLD) द्वारा किया जाता है।

IRTF (Internet Research Task Force) : संस्थान भविष्य में इंटरनेट की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु अन्वेषण व खोज (Research) को बढ़ावा देता है

IETF (Internet Engineering Task Force) : इंटरनेट मानकों का विकास करना व उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना इस संस्थान का उद्देश्य है।

W3C (World wide Web Consortium) : यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो वर्ल्ड वाइड वेब के जनक टीम वर्णन असली के नेतृत्व में काम करती है इसका गठन 1994 में किया गया या संस्था वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग के लिए मानकों का निर्धारण करते हैं।

इंटरनेट से जुड़ना (Connecting to internet)

          किसी पर के द्वारा इंटरनेट सेवा से जुड़ने के लिए निम्नलिखित उपकरणों/सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है- 

(I) पीसी (PC-Personal Computer)

(II) मॉडेम (Modem) नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC)

(III)   संचार माध्यम (communication medium) - टेलीफोन लाइन या विशेष इक्रित लाइन या प्रकाशीय तंतु या वायरलेस तकनीक आदि

(IV)  वेब ब्राउजर सॉफ्टवेयर

(V)  इंटरनेट सर्विस प्रदाता (ISP internet service provider)


     इंटरनेट सेवा प्रदाता को निर्धारित शुल्क देकर इंटरनेट खाता यूजरनेम तथा पासवर्ड प्राप्त किया जाता है यूजरनेम इंटरनेट से जुड़ने के लिए तथा पासवर्ड सुरक्षा और गोपनीयता के लिए आवश्यक है। इंटरनेट से जुड़े सभी कंप्यूटरों को एक विशेष IP Address  प्रदान किया जाता है जो उस कंप्यूटर की पहचान बनाता है।

इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP-internet service provider) : इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISPs) वे संस्थाएं हैं जो व्यक्तियों और संस्थानों को इंटरनेट से जोड़ने का माध्यम और उससे संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं। इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) का कंप्यूटर सर्वर (Server) कंप्यूटर कहलाता है जबकि उपयोगकर्ता का कंप्यूटर क्लाइंट (Client) कंप्यूटर कहलाता है। इंटरनेट उपयोगकर्ता द्वारा ISPs को कुछ सेवा शुल्क भी प्रदान करना पड़ता है ।
  
      इंटरनेट  सेवा प्रदाता (ISP) उपयोगकर्ता और विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ने के लिए कई संचार माध्यमों का उपयोग करता है।
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इंटरनेट शब्दावलियां

दोस्तों आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।🙏🙏

आप हमारे साथ जुड़े रहे और हम आपके लिए इसी तरह की  महत्वपूर्ण जानकारी लाते रहेंगे धन्यवाद।



Friday 29 May 2020

May 29, 2020

इंटरनेट क्या है (what is internet?)

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे ब्लॉग पर, दोस्तों इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं इंटरनेट के बारे में इंटरनेट क्या है, उसका विकास कैसे हुआ, और भी ढ़ेर सारी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे दोस्तों इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं।

इंटरनेट क्या है (what is internet?)


     इंटरनेशनल नेटवर्किंग (international networkking) का  संक्षिप्ताक्षर है। यह दुनिया भर में फैले हुए अनेक छोटे-बड़े कंप्यूटर नेटवर्क को के विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़ेने से बना विशाल व विश्वव्यापी जाल (global network) है जो समान नियमों (protocols) का अनुपालन कर एक दूसरे से संबंध स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाते हैं।

      इंटरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है। यह संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क है जो दुनिया भर में फैले व्यक्तिगत, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यापारिक तथा सरकारी नेटवर्कों में जुड़ने से बनता है।

        इंटरनेट को हम आधुनिक युग के संदेशवाहक की संख्या दे सकते हैं। इस तकनीक का प्रयोग कर हम किसी सूचना, जिसमें डाटा (Data), टेक्स्ट (text), ग्राफ (graph), चित्र (image), ध्वनि (audio) तथा चलचित्र (video), शामिल हैं, को पलक झपकते ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में भेज सकते हैं तथा इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों में रखी गई विशाल सूचनाओं में से वांछित सूचना प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण ही आधुनिक युग को संचार क्रांति का युग भी कहा जाता है।

इंटरनेट का विकास (Development of Internet)

प्रो.जे.सी. लिक्लाइडर (J.C. Licklider) सर्वप्रथम इंटरनेट की स्थापना का विचार 1962 में दिया था इसी कारण इन्हें इंटरनेट का जनक माना जाता है।

इंटरनेट का आरंभ 1969 ई.  में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा अर्पानेट (ARPANET -ADVANCED RESEARCH PROJECT AGENCY NET) के विकास से किया गया। अर्पानेट को दुनिया का पहला नेटवर्क कहा जाता है। अर्पानेट का प्रयोग रक्षा विभाग में अनुसंधान व विकास के कारण कार्य में किया गया 1989 में इंटरनेट को आम जनता के लिए खोल दिया गया।

1989 में टीम बर्नर्स ली हाइपरटक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज  (HTML) का विकास किया।

वर्ल्ड वाइड वेब(www-world wide web) का प्रस्ताव टिम बर्नर्स ली  (Tim berners-lee) द्वारा 1989 ईस्वी में दिया गया था इसी कारण इंग्लैंड, के वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब का जनक माना जाता है। वर्ल्ड वाइड वेब( WWW) पर हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल HTTP तथा टीसीपी/आईपी TCP/IP के द्विस््तरीय नियमो का पालन किया जाता है।

वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) का पहला आम प्रयोग 6 अगस्त 1991 को किया गया।

Mosaic वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रयुक्त पहला ग्राफिकल वेब ब्राउजर (Graphical Web Browser) था जिसका विकास मार्क एंडरसन(Marc Andreessen) ने 1993 में किया था।

1993 ई. में सर्न (CERN- European Organization for Nuclear Research) ने वर्ल्ड वाइड वेब को नि:शुल्क उपयोग के लिए उपलब्ध कराया।

1994 ईस्वी में वर्ल्ड वाइड वेब के लिए विभिन्न मानकों तथा प्रोटोकॉल का विकास करने के लिए (world wide web consortium-W3C) संघ की स्थापना की गई।

15 अगस्त 1995 ई. को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL)  द्वारा भारत में इंटरनेट सेवा का आरंभ किया गया।

                  

                   क्या आप जानते हैं?


प्रोफेसर जे. सी. लिक्लाइडर को इंटरनेट का जनक (father of internet) माना जाता है जिन्होंने (ARPANET) के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। आर्पानेट नेट से ही वर्तमान इंटरनेट व्यवस्था का जन्म माना जाता है।

        इंग्लैंड के वैज्ञानिक टीम बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब  का जनक (Father of World wide Web) माना जाता है। इन्होंने 1989 में हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HTML) का भी विकास किया।

इंटरनेट कैसे कार्य करता है?(How internet works)

      दुनिया भर के अनेक छोटे-बड़े कंप्यूटर नेटवर्क को विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़ने से इंटरनेट का निर्माण होता है। इंटरनेट client server model पर काम करता है। इंटरनेट से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर एक सर्वर से जुड़ा होता है तथा संसार के सभी सर्वर विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। सर्वर अपने से जुड़े उपयोगकर्ता (client) को मांगी गई सूचना या डाटा उपलब्ध कराता है। यदि मांगी गई सूचना उस सरवर के पास उपलब्ध नहीं है तो वह उस सरवर की पहचान करता है जहां यह सूचना उपलब्ध है तथा उसे सरवर से सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध करता है।

     इंटरनेट  से जुड़े कंप्यूटरों के बीच डाटा स्थानांतरण के लिए यह आवश्यक है कि सभी नेटवर्क एक समान नियमों या प्रोटोकॉल का उपयोग करें। ओपेन आर्टिटेक्चर  नेटवर्किंग द्वारा टीसीपी/आईपी (TCP/IP) के द्विस्तरीय नियमों के पालन द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाया गया है। इसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) का प्रयोग किया जाता है जिसमें सूचनाओं का बंडल (Packet) बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। इस कारण, एक ही संचार माध्यम का उपयोग विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा किया जा सकता है। इससे दुनिया भर के कंप्यूटर एक दूसरे से सीधे जुड़े बिना भी सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
 
     किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता (internet service provider) की सेवा लेनी पड़ती है। टेलीफोन  लाइन या वायरलेस तकनीक द्वारा कंप्यूटर को इंटरनेट सेवा प्रदाता के जोड़ा जाता है। इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को कुछ शुल्क भी देना पड़ता है।

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सर्च इंजन द्वारा सूचना कैसे खोजें
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दोस्तों आपका अपना अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और भी कंप्यूटर के रिलेटेड महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आप हमारे ब्लॉक से जुड़े रहे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद





Saturday 23 May 2020

May 23, 2020

डाटा तथा डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम

दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे कंप्यूटर  ब्लॉग madhavCS5 पर इस पोस्ट में आप डाटा से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।


डाटा तथा डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम

डाटा क्या है
        तथ्यों और सूचनाओं का व्यवस्थित संकलन (Raw Facts) डाटा कहलाता है डाटा वह तथ्य है जिसका संयम कोई विशेष अर्थ नहीं होता परंतु एक निश्चित मान (value) होता है कोई भी संख्या, अक्षर, टेक्स्ट, चित्र, आवाज या चलचित्र (Numbers Letters Text Image Audio or Video) डाटा हो सकता है।

डाटा के प्रकार 
          कंप्यूटर में स्टोर किए जाने वाली डाटा को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है-
(i)संख्यात्मक डाटा 
(ii)अक्षर डाटा 
(iii)अक्षर संख्यात्मक डाटा
(iv)ध्वनि डाटा
(v) रेखा चित्र डाटा
(vi)डाटा

i. संख्यात्मक डाटा
                      यह 0 से लेकर 9 तक (कुल 10) अंकों से बना डाटा है। संख्यात्मक डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएं की जा सकती हैं। किसी कक्षा में विद्यार्थियों की कुल संख्या या परीक्षा में उनका प्राप्तांक संख्यात्मक डाटा है।

ii. अक्षर डाटा
          यह वर्णमाला के सभी अक्षरों से बना डाटा है। जैसे-अंग्रेजी वर्णमाला में अक्षर (A, B,........ Z) या हिंदी वर्णमाला के अक्षर (क, ख, ....... ज्ञ ) आदि।
किसी कक्षा में विद्यार्थियों के नाम अक्षर डाटा हैं।


  III. अक्षर तथा संख्यात्मक डाटा (Alphabetic Data) : यह सभी संख्याओं का सभी अक्षरों तथा विशेषज्ञो (Special Characters) से मिलकर बना डाटा है। इसमें अंकगणितीय क्रियाएं नहीं की जा सकती,पर इनकी तुलना की जा सकती है कक्षा के विद्यार्थियों का पता अक्षर संख्यात्मक डाटा है।

 (IV) ध्वनि डेटा (Sound Data) : इसमें कंप्यूटर पर स्टोर किए गए सभी प्रकार के आवाज तथा ध्वनि शामिल हैं।

  (V) रेखा चित्र डाटा (Graphics Data) : इसमें चित्र, रेखा चित्र या ग्राफ के रूप में स्टोर किए गए डाटा शामिल हैं।

 (VI) चलचित्र डाटा (Video Data) : इसमें सभी प्रकार के चलचित्र (Moving picture) से बने डाटा आते हैं।

Friday 22 May 2020

May 22, 2020

इंटरनेट के उपयोग, ई-मेल के लाभ व हानि

हेलो फ्रेंड्स स्वागत है आप सभी का हमारे कंप्यूटर नॉलेज हिंदी ब्लॉक पर, 
    दोस्तों इस पोस्ट में आप सीखने वाले हैं इंटरनेट के उपयोग, ईमेल ई-मेल के लाभ व हानि, और भी कई ऐसे तथ्य जो आपकी आने वाली परीक्षा में बहुत ही लाभकारी साबित होंगे ।

इंटरनेट के उपयोग


  • वर्ल्ड वाइड वेब (WWW-world wide web)

  • ईमेल (electronic mail)

  • सोशल नेटवर्किंग (social networking)
  • Facebook, Twitter, Orkut, linkedin, WhatsApp, Instagram, Blog, YouTube.

  • टेलीनेट या रिमोट लॉग-इन(Telenet/Remote Login)

  • वीडियो कांफ्रेंस (video conference)

  • इंस्टेंट मैसेजिंग (instant messaging)

  • चैटिंग (chatting)-internet relay chat

  • न्यूज़ ग्रुप (news group)

  • यूज नेट (use net)

  • इंटरनेट टेलिफोनी (internet telephony)

  • इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (IPTv)

  • ई-कॉमर्स (e-commerce)

  • ई बिजनेस(e-business)

  • ई प्रशासन (e-governance)

  • टेलिफोनी (e-Telephony)

  • शिक्षा और अनुसंधान (research and education) e-Learning, Virtual, Classroom.
  • मनोरंजन (Entertainment)

ई-मेल (E-mail)
         ई-मेल (electronic mail) इंटरनेट पर कम खर्च में तीव्र गति से massage भेजने या प्राप्त करने का एक लोकप्रिय साधन है। ई-मेल Client Server Model पर काम करता है। ई-मेल संदेश के साथ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो फाइल संलग्न कर भेजा जा सकता है जिसे Attachment कहते हैं। भेजे गए e-mail की एक कॉपी भेजने वाले के email account  पर भी उपलब्ध होता है जिसे बाद में देखा(view)
 परिवर्तित किया (Edit) पुनः भेजना(Forward) या डिलीट(Delete) किया जा सकता है ईमेल के विकास का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक रे टामलि‌सन को जाता है।
       
                       इसे भी पढ़ें

       ई-मेल की तुलना परंपरागत डाक व्यवस्था से भी की जा सकती है ईमेल की सुविधा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक उपभोक्ता का एक ईमेल एड्रेस (e-mail address) होता है जिसे ईमेल सर्विस प्रोवाइडर के पास ईमेल खाता खोलकर (e-mail account),प्राप्त किया जा सकता है उपयोगकर्ता अपने ईमेल एड्रेस तथा पासवर्ड का प्रयोग कर ई-मेल सर्वर से जुड़ता है जिसे (log-in) कहते हैं। उसके बाद हम दिए गए ईमेल एड्रेस पर संदेश (message) भेज सकते हैं ।

                     आवश्यक जानकारी

         ईमेल सर्वर प्रत्येक ईमेल खाता धारी को एक निश्चित मेमोरी प्रदान करता है जिसे mail box कहा जाता है ईमेल सेवा भेजे गए संदेश को प्राप्त करता के मेल बॉक्स में डाल देता है इस प्रकार संदेश पाने के लिए प्राप्तकर्ता का तत्काल कंप्यूटर पर उपस्थित होना आवश्यक नहीं है प्राप्तकर्ता अपनी सुविधानुसार इंटरनेट के जरिए संदेश को सर्वर से download किए बिना अपनी मेल बॉक्स खोल कर संदेश पड़ सकता है संदेश पढ़ने के बाद प्राप्त करता उस ईमेल को save कर सकता है, delete (नष्ट) कर सकता है उसका जवाब (Reply) दे सकता है या संदेश को ज्यों का त्यों या संशोधित कर दूसरे उपयोगकर्ता को (Forward) कर सकता है परंपरागत दाग व्यवस्था की तुलना में e-mail सेवा इतना तीव्र है कि परंपरागत डाक व्यवस्था को धीमा मेल (Snail Mail) कहा जाने लगा।
                      
                      यह भी जान लें
          
             इंटरनेट पर e-mail द्वारा संदेश भेजने के लिए एसएम डीपी SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) का प्रयोग किया जाता है जबकि संदेश प्राप्त करने के लिए POP (Post Office Protocol) का प्रयोग किया जा सकता है।


ई-मेल के लाभ व हानि


लाभ : -संदेश भेजने का तीव्र व सस्ता माध्यम

        -ई-मेल के साथ टेक्स्ट, चित्र, ऑडियो तथा वीडियो फाइल भेजी जा सकती है।

हानि : -ई-मेल संदेश में आत्मीयता की कमी होती है।

       -ईमेल अटैचमेंट इंटरनेट पर वायरस फैलाने का आसान तरीका है।

       -गैर वांछित विज्ञापनों के लिए प्रयोग किया जाता है।

                      रोचक तथ्य

          विश्व का पहला ईमेल रे टामलि‌सन (Rey Tomlinson) ने 1971 में भेजा था इन्हें 'ईमेल सेवा का जनक' (Father of e-mail)  कहा जाता है।


दोस्तों आपका अमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

दोस्तों उम्मीद करता हूं कि यह जानकारी आपको कुछ जरूर महत्वपूर्ण लगी होगी और भी कंप्यूटर से संबंधित जानकारी पाने के लिए हमारी पोस्ट कांटी न्यू पढ़ते रहें धन्यवाद।



Thursday 21 May 2020

May 21, 2020

डोमेन नेम सिस्टम

डोमेन नेम सिस्टम

इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या उपकरण को श्रवन द्वारा एक विशेष अंकीय बता दिया जाता है जिसे ip-address कहते हैं इस अंकीय पता को याद रखना एक कठिन कार्य है दूसरी तरफ कंप्यूटर सर्वर केवल बायनरी अंकों वाले अंकिता की ही पहचान कर सकता है इस समस्या के हल के लिए डोमेन नेम सिस्टम का प्रयोग किया जाता है डोमेन नेम सिस्टम संख्याओं से बने आईपी ऐड्रेस को शब्दों से बने डोमेन नेम में बदल देता है जो याद रखने और उपयोग करने में आसान होता है डोमेन नेम सिस्टम से सभी (Domain Name) तथा उससे संबंधित ip-address का संग्रह होता है ।

       जब हम किसी वेब ब्राउजर पर किसी वेबसाइट का नेम टाइप करते हैं तो डोमेन नेम सिस्टम उसे अंकीय पता ( IP Address )में बदल देता है ताकि उस कंप्यूटर की पहचान कर उससे संपर्क स्थापित कर सकें ।

    Domain Name केस सेंसिटिव (case sensitive) नहीं होता, अर्थात उन्हें बड़े (Capital letters) अक्षरों या छोटे अक्षरों (small letters)किसी में भी टाइप करने पर सामान परिणाम प्राप्त होता है।


डोमेन नेम (Domain Name)नेटवर्क में प्रत्येक वेबसाइट को एक विशेष (Unique) नाम दिया जाता है जो वेबसाइट का पता (Address) होता है।
किसी भी दो वेबसाइट का डोमेन नेम एक समान नहीं हो सकता। (DNS) सर्वर डोमेन नेम को आईपी (IP Address) में बदलकर उस वेबसाइट की पहचान करता है डोमेन नेम में उस वेबसाइट का नाम तथा एक्सटेंशन नाम शामिल होता है प्रत्येक वेबसाइट का अपना अलग-अलग नाम होता है जबकि एक्सटेंशन नाम कुछ पूर्व निर्धारित विकल्पों में से कोई एक हो सकता है नाम तथा एक्सटेंशन को डॉट (.) द्वारा अलग किया जाता है।
     WWW डोमेन नेम का अंग होता है। पर यदि इसे ब्राउज़र के (Address Bar) पर टाइप ना किया गया हो तो वेब ब्राउजर इसे स्वयं जोड़ लेता है।



Domain Name के उदाहरण हैं
Google.com
 Yahoo.co.in 
Hotmail.com 

Name Extension

  • डोमेन नेम क्या अच्छा दोनों हो सकते हैं।

  • इसमें अधिकतम 64 कैरेक्टर हो सकते हैं।

  • इसमें एकमात्र विशेष कैरेक्टर hypen (-) पेन का प्रयोग किया जा सकता है।

  • डोमेन नेम का अंतिम भाग जिसे डॉट (.)के बाद लिखा जाता है किसी संगठन (Organisation) या देश कंट्री को इंगित करता है इसे (Domain Indicator) या Top Level Domain (TLD) भी कहते हैं।

  • संगठन को इंगित करने वाला डोमेन नेम (generic domain)कहलाता है जबकि देश को इंगित करने वाला डोमेन नेम country domain  कहलाता है।

  • टॉप लेवल डोमेन (TLD) एक्सटेंशन के कुछ उदाहरण हैं-


edu - education (शैक्षणिक)

com - commercial (व्यवसायिक)

org - organization (संस्थान)

gov - government (सरकारी)

mil - military (सैन्य संगठन)

net - networking (नेटवर्क)

int - international (अंतरराष्ट्रीय)

co - company (कंपनी)

info - information (सूचना प्रदाता)

Country Code टॉप लेवल डोमेन (ccTLD) के उदाहरण हैं-

in - India

uk - United Kingdom

us - United States America



Wednesday 20 May 2020

May 20, 2020

कम्प्यूटर से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण फुल फार्म


कम्प्यूटर से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण फुल फार्म 



B2B       : Business to business

B2C       : Business to Consumer

CAD         :Computer Aided Design

CAD         :Computer Aided Learning

CCTLD   :Country Code Top Level 
                   Domain

CD         : Compact Disk

C-DAC  :Center for Development of
                 Advanced computing

CDMA    :Code Division Multiple
                     Access


      D/A       :Digital-to-Analog

DBMS   :Data Base Management
               System

DDS       :Digital Data Storage

DHTML :Dynamic Hyper Text
                Markup Language

DIMM    :Dual in-Line Memory
                 Module

DOS       :Disk Operating System

DNS       :Domain Name System

DPI        :Dots Per Inch

DRDO   :Defense Research and
                Development  Organization

DTP       :Desk Top Publishing

DVD      :Digital Video Disk



E-business  :Electronic Business

E-Commerce  :Electronic commerce

E-mail    :Electronic Mail

EDP       :Electronic Data Processing


EEPROM      :Electrically Erasable
                        Programmable Read
                        Only Memory

EPROM    :Erasable Programmable
                       Read Only Memory

ERNET  :Education and Research
                 Network

EXE       :Execution




FAT       :File Allocation Table

FDM      :Frequency Division Multiplexing

FET       :Field Effect Transistor

FIFO      :First-in, First-Out

FILO      :First-in Last Out

FLOP     :Floating Point Operation

FM         :Frequency Modulation

FORTRAN    :Formula Translation

FSK       :Frequency Shift Keying

FTP        :File Transfer Protocol



GB         :Giga Bytes

GIF        :Graphics Interchange Format

GIGO     :Garbage-In-Garbage-Out

GPO       :General Post Office

GPRS     :General Pocket Radio Service

GPS       :Global Positioning System

GSM      :Global System for Mobile

GUI        :Graphical User Interface




HLL       :High Level Language

HP                   :Hewlett Packard

HTML    :Hyper Text Markup Language

HTTP     :Hyper Text Transfer Protocol



IAB        :Internet Architecture Board

IEEE      :Institute of  Electrical and
                Electronics Engineers 

IBM       :International Business 
                Machines

IC           :Integrated Circuit

IETF      :Internet Engineering Task Force

IM                   :Instant Messaging

I/O         :Input Output

IP           ;Internet Protocol

IRC        :Internet Relay Chat

ISDN     :Integrated Services Digital
              :Network

ISO        :International Standards 
              Organisation

ISP         :Internet Service Provider

IT           :Information Technology


JPEG     :Joint Photographic Expert
                Group




KB         :Kilo Bytes

Kb          :Kilo bits    

KIPS      :Knowledge Information
                processing system




LAN       :Local Area Network

LCD       :Liquid Crystal Display

LED       :Light-Emitting Diode

LLL        :Low Level Language

LSD       :Least Significant Digit




MAN     :Metropolitan Area Network

MB        :Mega Bytes

MBPS    :Mega Bits per Second

MHz       :Mega Hertz

MICR     :Magnetic Ink Character 
                Recognition

MIDI      :Musical Instrument Digital Interface

MIPS     :Million Instruction Per 
               Second

MODEM     :Modulator-Demodulator

MS         :Microsoft

MP-3      :MPEG-1 Audio Layer 3

MSD      :Most Significant Digit